हरिद्वार

धूमधाम से मनाई गई गुरुदेव साकेतवासी 1008 हेमकान्त शरण जी महाराज की 12वीं पावन पुण्यतिथि

 

 

हरिद्वार।रानीपुर मोड़ स्थित श्री कृष्णा आश्रम में परम पूज्य गुरुदेव साकेतवासी 1008 हेमकान्त शरण जी महाराज की 12वीं पावन पुण्यतिथि संत महापुरुषों की गरिमा मय उपस्थिति के बीच मनायी गयी ।

इस अवसर पर  जगतगुरु रामानंदाचार्य अयोध्या दास महाराज ने कहा साधु संत ऋषि मुनि अपने तपोबल व अर्जित ज्ञान के माध्यम से भक्तों को भगवान श्री राम की शरण में जाने का मार्ग दिखाते हैं।

इस अवसर पर आश्रम के श्रीमहंत बिहारी शरण महाराज ने कहा परम पूज्य गुरुदेव गोलोक वासी श्री श्री 1008 श्री महंत स्वामी हेमकांत शरण महाराज इस पृथ्वी लोक पर अपार ज्ञान का सागर थे धर्म कर्म पूजा पाठ यज्ञ अनुष्ठान के माध्यम से गुरुदेव ने संपूर्ण विश्व में धर्म एवं सनातन की अलख जगायी भक्तों को सत्य के मार्ग से भगवान राम की शरण में ले जाने वाले पावन त्याग मूर्ति तपो निधि एक विशाल गंगासागर थे कहते हैं ना कि सारे तीरथ बार-बार गंगा सागर एक बार मेरे पावन गुरुदेव का पावन सानिध्य इतना पावन था की जो उनकी शरण में आया वह भगवान राम के भजन में एकांत चित हो गया और गुरुदेव की कृपा से भगवान के शरणागत हो गया।

इस अवसर पर बोलते हुए श्रीमहंत रघुवीर दास महाराज ने कहा इस पृथ्वी लोक पर गुरुजनों संत महापुरुषों का पावन सानिध्य भक्तों के भाग्य का उदय करता है परम पूज्य गुरुदेव धर्म कर्म पूजा पाठ यज्ञ अनुष्ठान दान सत्यकर्म के माध्यम से गुरुदेव भक्तों के भाग्य को बदलकर उनके भाग्य का उदय कर देते हैं उनका लोक और परलोक दोनों सुधार देते हैं इस संसार में सतगुरु से बड़ा मार्गदर्शक और कोई हो ही नहीं सकता इस अवसर पर बोलते हुए श्री महंत दुर्गादास महाराज ने कहा गुरुदेव इस संसार में भक्तों के मन के विकारों के तर्पण करता है जो भक्त गुरु की शरणागत हो जाता है उसके भाग्य का उदय हो जाता है।

इस अवसर पर  श्री महंत सूरज दास महाराज ने कहा जिस प्रकार मां गंगा में स्नान करने से यह तन मन पावन हो जाता है इस प्रकार गुरु के ज्ञान की गंगा में गोते लगाने से यह मनुष्य जीवन धन्य हो जाता है इस अवसर पर बोलते हुए महंत प्रहलाद दास महाराज ने कहा इस संसार में सतगुरु से बड़ा सच्चा मार्गदर्शक कोई और हो ही नहीं सकता सतगुरु भक्तों को उंगली पड़कर भवसागर पार कर देते है।

यह अवसर पर  स्वामी अंकित शरण महाराज ने कहा इस संसार में जिस मनुष्य के जीवन में संतोष धारण नहीं वह एक भटकती हुई आत्मा के सामान है मनुष्य को एकांत चित् होने के साथ-साथ अपने मन में सब्रवान भी होना चाहिए कहने का तात्पर्य यह है कि इसकी सीख माता शबरी के जीवन से ले माता शबरी ने युगों तक भगवान राम के नाम की गाथा गाई और भगवान राम के आगमन में हर रोज उसकी कुटिया की ओर आने वाले मार्ग को फूलों से सजाकर रखा उसके सब्र का इम्तिहान एक दिन खत्म हुआ मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम को उनकी कुटिया में आकर उनके झूठे बेर चखने पड़े और उन्हें गौरांवित करते हुए परलोक में उनके गुरु के चरणों में भेज दिया उनके सब्र और तपस्या की धर्म गाथा हजारों साल से लोगों की जवान पर है धर्म ग्रंथो में लिखी गई लोगों को इससे सीख मिली कहने का मतलब यह है की साबरी ने यह सब्र स्वयं नहीं रखा उन्हें उनके गुरुदेव इस लोक से जाने से पूर्व यह कह कर गए थे कि इस मेरे स्थान पर सब्र रखें भगवान राम का सिमरन करो भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम एक दिन इसी स्थान पर तुम्हें स्वयं दर्शन देने आयेगे गुरु ही उन्हें यह मार्ग दिखाने वाले सच्चे मार्गदर्शक थे ऐसे ही पावन त्याग मूर्ति संत थे श्री श्री 1008 हेमकांत शरण महाराज और ऐसे ही पावन त्याग मूर्ति भक्तों के सच्चे पथ दर्शक संत हैं परम पूज्य गुरुदेव श्री महंत 1008 बिहारी शरण महाराज जिनके ज्ञान की गंगा में हम लोग गोते लगाकर अपने इस नासवान जीवन को धन्य तथा कृतार्थ कर रहे है इस अवसर पर बाबा हठ योगी महाराज साध्वी गंगादास महाराज महंत गोपाल गिरी महंत सूरदास महंत शांति प्रकाश महाराज महंत दिनेश दास महाराज महंत रवि देव महाराज महंत रघुवीर दास महाराज महंत दुर्गादास महाराज महंत कन्हैया दास महाराज स्वामी कृष्णानंद महाराज महंत केशवानंद महाराज स्वामी आकाश गिरी श्री कृष्णा शरण महाराज महाराज सहित भारी संख्या में संत महापुरुष तथा भक्तगण उपस्थित थे

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