एक्सक्लूसिव खबरें

आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने सुपरबग के बचाव तंत्र का लगाया पता,जिससे खुल गए नए उपचारों के द्वार

निष्कर्षों से मल्टीड्रग-प्रतिरोधी संक्रमणों के लिए उन्नत उपचारों की ओर अग्रसर हो सकते हैं

इमरान देशभक्त

रुड़की।भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की (आईआईटी,रुड़की) के वैज्ञानिकों ने एसिनेटोबैक्टर बाउमानी में एक महत्वपूर्ण विनियामक तंत्र का पता लगाया है,जो एक अत्यधिक दवा प्रतिरोधी सुपरबग है,जो जानलेवा संक्रमणों के लिए जिम्मेदार है।अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी (एएसएम) की प्रतिष्ठित पत्रिका एमबायो में प्रकाशित उनके अध्ययन से पता चलता है कि रोगाणु अपने हमले और बचाव प्रणालियों को कैसे नियंत्रित करता है,जिससे नई उपचार रणनीतियों का मार्ग प्रशस्त होता है।

एसिनेटोबैक्टर बाउमानी कई एंटीबायोटिक दवाओं का प्रतिरोध करने की अपनी क्षमता के लिए जानी जाती है,जो इसे स्वास्थ्य सेवा सेटिंग्स में एक गंभीर खतरा बनाता है।यह निमोनिया,रक्तप्रवाह संक्रमण और मूत्र पथ के संक्रमण सहित गंभीर अस्पताल-अधिग्रहित संक्रमणों का कारण बनता है।इस सुपरबग का एक प्रमुख उत्तरजीविता उपकरण टाइप 6 स्राव प्रणाली (टी6एसएस) है-एक जीवाणु “हथियार” जिसका उपयोग प्रतिस्पर्धी सूक्ष्मजीवों पर हमला करने के लिए किया जाता है,हालाँकि, ए बाउमानी एंटीबायोटिक प्रतिरोध को बनाए रखते हुए टी-6एसएस को कैसे नियंत्रित करता है,यह अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है।

प्रो. रंजना पठानिया के नेतृत्व में शोध दल ने पाया कि ए०बाउमानी पर्यावरण की स्थितियों के आधार पर टी-6एसएस को चालू या बंद करता है।एक छोटा आरएनए अणु,एबीएसआर-28,इस विनियमन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है,जो मैंगनीज (Mn²+) के स्तर से प्रभावित होता है।जब Mn²+ का स्तर अधिक होता है,तो एबीएसआर-28 टी-6एसएस फक्शन के लिए आवश्यक एक आवश्यक जीन (टीएसएसएम) से जुड़ जाता है,जिससे इसका क्षरण होता है।यह टी-6एसएस की सक्रियता को रोकता है और ए०बाउमानी को प्लास्मिड पीएबी-3 को बनाए रखने में सक्षम बनाता है,जो कई एंटीबायोटिक प्रतिरोध जीन को वहन करता है।हमने पाया कि जब ए०बाउमानी टी-6एसएस को सक्रिय करता है,तो यह एंटीबायोटिक्स और ऑक्सीडेटिव तनाव के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है,इसलिए बैक्टीरिया को अलग-अलग परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए इस प्रणाली को सावधानीपूर्वक विनियमित करना चाहिए।प्रो०पठानिया ने कहा कि हमारी खोज इस बात पर प्रकाश डालती है कि यह रोगाणु संक्रमण के दौरान कैसे अनुकूलन करता है,जिससे इसे एंटीबायोटिक्स और प्रतिरक्षा प्रणाली दोनों से बचने में सहायता मिलती है।एबीएसआर-28 को लक्षित करके वैज्ञानिक सुपरबग की विनियामक प्रणाली को बाधित करने में सक्षम हो सकते हैं,जिससे यह सीधे प्रतिरोध जीन पर हमला किए बिना एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।यह खोज बहुऔषधि प्रतिरोधी संक्रमणों के खिलाफ सटीक चिकित्सा और नवीन दवा विकास के लिए नए मार्ग खोलती है।शोध दल में सोमोक भौमिक,अविक पाठक,शिवम पांडे,कुलदीप देवनाथ, अभिरूप सेठ,निशांत ज्योति,टिम्सी भंडो,जावेद अख्तर,सौरभ चुघ,डॉ० रमनदीप सिंह और तरुण कुमार शर्मा रहे।उनका अग्रणी कार्य अत्याधुनिक जैव-चिकित्सा अनुसंधान में आईआईटी रुड़की के नेतृत्व को सुदृढ़ करता है।आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो०कमल किशोर पंत ने कहा कि आईआईटी रुड़की में हम वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने वाले वैज्ञानिक अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।एसिनेटोबैक्टर बाउमानी के रक्षा तंत्र को समझने में यह सफलता हमारे शोधकर्ताओं द्वारा किए जा रहे उच्च-प्रभावी कार्य का प्रमाण है। इस तरह की खोजें एंटीबायोटिक प्रतिरोध से निपटने और स्वास्थ्य सेवा परिणामों को बेहतर बनाने में उन्नत समाधानों का मार्ग प्रशस्त करती हैं।

Related Articles

Back to top button