श्रद्धा से सृजन तक हरिद्वार की महिलाएं रच रही सुगंध का नया संसार
मंदिरों के चढ़े फूलों से धूप–अगरबत्ती निर्माण इकाई की स्थापना, महिला समूहों को मिला नया आजीविका अवसर

प्रधान संपादक कमल मिश्रा
हरिद्वार। उत्तराखंड राज्य स्थापना की रजत जयंती वर्ष पर जनपद हरिद्वार के मुख्य विकास अधिकारी डा0 ललित नारायण मिश्र के निर्देशानुसार आज सरस केंद्र, नूरपुर पंजनहेडी जमालपुर कला में एक महत्वपूर्ण आजीविका पहल का शुभारंभ किया गया। ग्रामोत्थान रीप परियोजना के वित्तीय सहयोग से आईटीसी मिशन सुनहरा कल एवं श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम द्वारा समर्थित ‘स्वागत स्वायत्त सहकारिता’ के परिसर में धूपबत्ती, अगरबत्ती एवं दीपक निर्माण इकाई की स्थापना प्रारंभ की गई।

मशीन पूजन एवं औपचारिक शुरुआत
नवनिर्मित इकाई की मशीनों का विधिवत पूजन प्रभागीय परियोजना प्रबंधक डॉ. सक्सेना, ग्राम प्रधान पंजनहेडी श्री प्रदीप चौहान, रीप परियोजना के सहायक प्रबंधक अमित शर्मा, पंजाब नेशनल बैंक के श्री सैनी, आईटीसी–भुवनेश्वरी महिला आश्रम के परियोजना प्रबंधक डॉ. पंत, तथा सहकारिता पदाधिकारियों की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
पूजन विधि का संचालन कर्मकांड विशेषज्ञ आचार्य अशोक पांडे जी द्वारा किया गया।

स्वागत सहकारिता अध्यक्षा विमला जोशी के नेतृत्व में कार्यक्रम उत्साहपूर्ण वातावरण में सम्पन्न हुआ।
मंदिरों से एकत्रित फूलों से बनेंगे सुगंधित उत्पाद
इस इकाई के लिए कच्चे माल (फूल) की आपूर्ति आईटीसी मिशन सुनहरा कल द्वारा समर्थित 25 मंदिरों से की जा रही है।
स्वयं सहायता समूह की महिलाएँ मंदिरों से चढ़े फूलों को एकत्र कर जमालपुर केंद्र तक लाती हैं, जहाँ—फूलों की छंटाई, ग्रेडिंग, सुखाने, और पाउडर निर्माण की प्रक्रियाएँ की जाती हैं।इन्हीं से पर्यावरण–अनुकूल धूपबत्ती, अगरबत्ती एवं दीपक तैयार किए जा रहे हैं।
आईटीसी मिशन सुनहरा कल अपनी सहयोगी संस्था श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम के साथ मिलकर वर्तमान में हरिद्वार जनपद के 220 मंदिरों में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन का संचालन कर रहा है। ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के इस प्रभावी मॉडल के अंतर्गत मंदिरों के चढ़े फूल न गंगा में प्रवाहित किए जाते हैं, न ही सड़क या कचरा स्थलों में फेंके जाते हैं।

बल्कि उन्हें उपयोगी उत्पादों में परिवर्तित कर पर्यावरण एवं आजीविका—दोनों का संरक्षण किया जा रहा है।
महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
माननीय मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की महिलाओं को सशक्त व स्वावलंबी बनाने की परिकल्पना को यह पहल सशक्त रूप से आगे बढ़ा रही है
रीप परियोजना प्रबंधक डॉ. सक्सेना ने बताया कि इस इकाई से—महिलाओं की आय में वृद्धि, कौशल विकास, तथा जीवन–स्तर में सुधार सुनिश्चित होगा।
यह पहल महिलाओं को आर्थिक आत्मनिर्भरता के नए अवसर प्रदान करेगी।
सरकार–रीप परियोजना–सीएसआर–सहकारिता का सफल समन्वय* राज्य स्थापना रजत जयंती वर्ष में ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना, सीएसआर तथा सहकारिता के संयुक्त प्रयास से स्थापित यह इकाई उत्तराखंड की महिलाओं के लिए नई दिशा और संभावनाओं का द्वार खोल रही है।
मंदिरों की श्रद्धा से उपजे फूल, अब महिलाओं के श्रम एवं कौशल से सुगंधित आजीविका में परिवर्तित होकर एक प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं


