उत्तराखंड में पटरी से उतरी स्कूली शिक्षा, प्रभारी प्रिंसिपल के बहिष्कार के बाद बाबूओं के भरोसे स्कूल, प्रिंसिपल की दी गई जिम्मेदारी
उत्तराखंड में पटरी से उतरी स्कूली शिक्षा, प्रभारी प्रिंसिपल के बहिष्कार के बाद बाबूओं के भरोसे स्कूल, प्रिंसिपल की दी गई जिम्मेदारी
पिथौरागढ़. उत्तराखंड में स्कूली शिक्षा पूरी तरह पटरी से उतर गई है. हालात ये हैं कि प्रभारी प्रिंसिपल के बहिष्कार के बाद अब स्कूलों का मुखिया बाबूओं को बनाया जा रहा है. बाबूओं को प्रिंसिपल की जिम्मेदारी दिए जाने से मिनिस्ट्रियल फेडरेशन भी खफा है. उत्तराखंड के अधिकतर इंटर और हाईस्कूल सालों से प्रभारी प्रधानाचार्यों के भरोसे चल रहे हैं, लेकिन विभिन्न मांगों को लेकर प्रभारियों ने प्रधानाचार्य का जिम्मा छोड़ दिया है. प्रभारी प्रधानाचार्यों के इस कदम से राज्य के अधिकतर इंटर और हाईस्कूल अनाथ हो गए हैं. हालात तो इस कदर खराब हैं कि अब कई स्कूलों में प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी मिनिस्ट्रियल स्टाफ को दी जा रही है.
मिनिस्ट्रियल स्टाफ को प्रधानाचार्य की जिम्मेदारी दिए जाने से अजीब से हालात पैदा हो रहे हैं. आलम ये है कि मिनिस्ट्रियल फेडरेशन ने भी अब विभाग के इस कदम की खिलाफत शुरू कर दी है. मिनिस्ट्रियल फेडरेशन का कहना है कि बाबूओं को प्रिंसिपल का काम देना नियमों के खिलाफ तो है ही, साथ ही इस कदम से मिनिस्ट्रियल स्टाफ पर काम का दबाव भी बढ़ रहा है.
शिक्षा मंत्री ने सीधी भर्ती करवाने का किया दावा
असल में उत्तराखंड की स्कूली शिक्षा पहले से ही पटरी से उतरी है. प्रधानाचार्यों के हजारों पद तो सालों से खाली हैं ही, साथ ही शिक्षकों के पद भी भारी संख्या में खाली पड़े हैं. ऐसे में प्रभारी प्रधानाचार्यों के बहिष्कार ने एजुकेशन सिस्टम को पूरी तरह बेपर्दा कर डाला है. ये बात अलग है कि प्रदेश के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने जल्द ही सीधी भर्ती से इस कमी को दूर करने का दावा कर रहे हैं. मगर ये देखने वाली बात होगी कि शिक्षा व्यवस्था में कब तक सुधार देखने को मिलता है.
दूर-दराज के स्कूलों में मंडराया संकट
उत्तराखंड शिक्षा विभाग पर मंडराए इस संकट की सबसे अधिक मार दूर-दराज के स्कूलों पर पड़ रही है. इन स्कूलों में शिक्षकों की कमी ने छात्रों के भविष्य को तो संकट में डाला ही है. साथ ही अब मिनिस्ट्रियल स्टाफ के लिए दोहरी चुनौती खड़ी कर दी है. ऐसे में जहां प्रभारी प्रिंसिपल पहले से ही आंदोलन की राह पर हैं. वहीं अब जो हालात पैदा हो रहे हैं. उससे मिनिस्ट्रियल फेडरेशन भी सड़कों पर उतर सकता है.