क्या भला है और क्या बुरा है इसकी परख जमाना और समाज हमें करा देता है किंतु भले बुरे कर्मों का फल हमें भोगना ही होता है – आनंदमयी साधना मां

हरिद्वार( वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानंद) ।कनखल स्थित श्री माधव आश्रम आनंदमयी कविता मां आश्रम में भक्तजनों के बीच उद्गार व्यक्त करते हुए परम वंदनीय श्री श्री आनंदमयी साधना मां ने कहा अच्छे और बुरे दोनों विचार मनुष्य के अंदर ही होते हैं जैसे की अच्छाई और बुराई दोनों हमारे अंदर है आवश्यकता है मन की इंद्रियों के घोड़े को लगाम लगाकर सही बात का चयन करना अपने मस्तिष्क और विवेक से हमें यह जान लेना चाहिये की क्या भला है और क्या बुरा है इन दोनों की परख होना जीवन में नितांत आवश्यक है और इन बातों की परख हमें समाज कराता है जब हम समाज से जुड़ते हैं तो हमें इन बातों की परख नहीं होती किंतु जैसे-जैसे हमें अचानक कोई नुकसान उठाना पड़ता है तो हमें भले बुरे की परख होने लगती है जो धन आप भला बुरा करके कमा रहे हैं उस धन को आप भोग पाये या ना भोग पाये यह कुछ संभव नहीं किंतु उसे कमाने के लिये जो भले बुरे कर्म किये हैं उनका फल तो हर हाल में भोगना ही होगा इसलिये गलत कर्मों से शार्टकट से धन कमाना ठीक नहीं मेहनत से कमाया गया धन हमेशा फलीभूत होता है किया गया भजन हमेशा जीवन को सार्थकता की ओर ले जाता है और सतगुरु द्वारा दिया गया ज्ञान हमारे जीवन को उद्धार की ओर ले जाता है।