हरिद्वार

आधार कार्ड के कारण हो रही  हैं बच्चों और अभिभावकों   को परेशानियां,   बच्चों और अभिभावकों  की परेशानियों को सरकार कर रही है अनदेखा

हरिद्वार 28 दिसंबर  (वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानन्द)

सरकार द्वारा बनाये गये आधार के कार्ड आम जनमानस के लिये गले की फांस बन गए हैं । ज्ञात हो कि सरकार द्वारा बच्चों की शिक्षा हेतु आजकल तरह-तरह के ऐसे एप बना दिए गए हैं जिनमें बच्चे तथा माता-पिता के आधार कार्डों की आवश्यकता पड़ रही है किंतु किसी के आधार कार्ड में अगर कोई त्रुटि है तो उन अभिभावकों कौन व बच्चों को परेशान किया जा रहा है। वह पूरे पूरे दिन जन आधार केंद्र पर लाइनों में खड़े हुए हैं किंतु उनकी विसंगतियां खामियों के चलते ठीक नहीं हो पा रही हैं पूरे दिन लाइन में लगने के बाद भी उन्हें निराशा ही  हाथ लगती है ऊपर से शिक्षण संस्थान वाले स्कूल वाले बच्चों को परेशान  करते हैं तथा उनके अभिभावकों को बार-बार परेशान करते हैं।

जन आधार केंद्र कम है किंतु आधार कार्ड की त्रुटि ठीक करने वाले अधिक है ऊपर से जन आधार केंद्र वाले ऐसे साक्ष्य मांगते हैं जो लोगों के पास उपलब्ध नहीं है मानो किसी का बच्चा अगर घर में पैदा हुआ है तो वह जन्म प्रमाण पत्र कहां से लाये अगर कोई अनपढ़ है तो वह स्कूल का प्रमाण पत्र कहां से लाये इस तरह के ऐप जो शिक्षण संस्थान व सरकारी विभाग बना रहे हैं  वह लोगों के लिए एक बहुत बड़ा सर दर्द बन रहा है जन आधार केंद्र पर लोग मारे मारे फिर रहे हैं लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं कहते हैं।  माननीय भारत सरकार के सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय को इस बारे में संज्ञान लेते हुए आधार कार्ड की बच्चों की शिक्षा में तथा अन्य आवश्यक कार्य में उपयोगिता को समाप्त कर देना चाहिए क्योंकि सरकार अगर उन्हें सही करने का साधन वह उचित माध्यम नहीं निकल सकती तो उसे आधार कार्ड की उपयोगिता शिक्षण संस्थानों में स्कूलों में नौकरियों में बिल्कुल समाप्त कर देनी चाहिये।

संगठन की राष्ट्रीय संरक्षक  मुन्नी चौहान ने भारत सरकार से वह माननीय सर्वोच्च न्यायालय से मांग की है की बच्चों की शिक्षा में माता-पिता के आधार कार्ड की उपयोगिता को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाये क्योंकि शिक्षण संस्थान स्कूल उनका अनाधिकृत उत्पीड़न तथा मानसिक शोषण कर रहे हैं आधार कार्ड केवल सरकारी योजनाओं तक सीमित रखा जाये बच्चों की शिक्षा पर इस बात का दुष्प्रभाव पड़ रहा है सरकार को इस पर तत्काल निर्णय लेना चाहिए तथा यह जो तरह-तरह के यह ऐप बनाए जा रहे हैं इन्हें समाप्त कर देना चाहिए ताकि अभिभावकों का छात्रों का अनाधिकृत उत्पीड़न समाप्त हो सके।

क्योंकि किसी को नाम के साथ अगर उसने जाती लिखी है तो बच्चों के प्रमाण पत्र में नहीं है आधार कार्ड में है तो एक महाभारत छिड़ जाती है मानो उसके सामने एक बहुत बड़ा संकट खड़ा गया हो गया हो जब आधार कार्ड बनाये गये थे तब लोगों को इस प्रकार की आशंका से अवगत नहीं कराया गया था यह आधार कार्ड का काला कानून बिल्कुल समाप्त किया जाये आम जनमानस का वृद्धो का बच्चों का उनके अभिभावकों का शिक्षण संस्थानों स्कूलों ने जीना हराम कर दिया है सरकार को इस समस्या की ओर ध्यान देना चाहिए अगर किसी के पास जन्म प्रमाण पत्र नहीं है अगर किसी के पास शिक्षक प्रमाण पत्र नहीं है तो उसे सभासद द्वारा नगर निगम द्वारा उनके लेटर पैड पर लिखकर देने से ठीक हो जाना चाहिए ऐसा नियम लागू करना चाहिए या फिर आधार कार्ड की आवश्यकता को पूरी तरह समाप्त कर देना चाहिए इस प्रकार का मानसिक उत्पीड़न चाहे शिक्षण संस्थान करें या कोई और बरदाश्त योग्य नहीं

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