भक्तों के लिए कल्याणकारी है गुरु कृपा, भवतारणी है गुरु के मुखारविंद से निकले पावन वाणी – श्रीमहंत कमलेशानन्द सरस्वती
हरिद्वार 13 जनवरी 2025 (वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोज मनोजानन्द) भूपतवाला पीपल वाली गली स्थित श्रीजगदीश कुटीर आश्रम स्वामी माधवानन्द धर्मार्थ ट्रस्ट के तत्वाधान में परम पूज्य गुरुदेव ब्रह्मलीन श्री श्री 1008 स्वामी माधवानन्द जी महाराज की द्वितीय पावन पुण्यतिथि आश्रम के श्री महंत कैलाशानन्द जी महाराज के पावन सानिध्य में बड़े ही धूमधाम हर्षोउल्लास के साथ मनायी गई साथ ही एक विशाल संत समागम का आयोजन किया गया।
संत समागम को संबोधित करते हुए आश्रम के श्री महंत कैलाशानन्द महाराज महाराज ने कहा परम पूज्य गुरुदेव श्री श्री 1008 स्वामी माधवानन्द महाराज इस पृथ्वी लोक पर ज्ञान का एक विशाल सागर थे उनके ज्ञान की कोई सीमा नहीं थी हम सभी भक्तजन उनके ज्ञान रूपी सागर में स्नान कर अपने जीवन को धन्य तथा कृतार्थ किया करते थे उनका दिया हुआ ज्ञान आज भी अखण्ड ज्योति के रूप में हम सब के मन मस्तिष्क में विद्यमान है परम पूज्य गुरुदेव ने सिखाया भूखे को रोटी प्यासे को पानी इससे बड़ा ना तो कोई पुण्य है और ना ही कोई दान इसलिय गुरु के बताये मार्ग पर चले गुरु श्री चरणों से होकर जाने वाला मार्ग ही भगवान श्री हरि के चरणों तक पहुंचता है इस अवसर पर बोलते हुए श्री गंगा भक्ति आश्रम के परमाध्यक्ष श्री महंत 1008 परम पूज्य श्री कमलेशानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा गुरु के पावन श्रीमुख से निकलने वाले पावन वचन भक्तों के लियें अति कल्याणकारी तथा गुरु कृपा भव तारिणी होती है इस संसार में गुरु से बड़ा और सच्चा मार्गदर्शक कोई और हो ही नहीं सकता सतगुरु ही हमें उंगली पड़कर भवसागर पार कराते हैं हमारे सतगुरु हमें धर्म-कर्म दान पूजा पाठ के माध्यम से सत्य की डगर की ओर ले जाते हुए हमारे इस मानव जीवन का उद्धार कर देते हैं सतगुरु इस पृथ्वी लोक पर साक्षात सूर्य के सामान प्रकाशमान है सतगुरु के ज्ञान रूपी प्रकाश में हमारे जीवन का अंधकार दूर हो जाता है और हमारे ज्ञान चक्षु खुल जाते हैं और हम गुरु के श्री मुख से निकलने वाली ज्ञान की गंगा में गोते लगाकर अपने इस मानव जीवन का उद्धार कर लेते हैं गुरु के पावन श्री वचन हमारे इस मानव जीवन को धन्य तथा सार्थक बना देते हैं इस संसार में दो प्रकार की गंगा है एक तो माँ भागीरथी जिन स्नान करने मात्र से मनुष्य के जन्मो जन्म के पाप और संताप नष्ट हो जाते हैं और उसे पुनीत फलों की प्राप्ति होती है दूसरी गंगा इस पृथ्वी लोक पर संतो के श्री मुख से ज्ञान के रूप में बहती है जिसका कानों से श्रवण करने मात्र से यह जीवन धन्य हो जाता है तथा भगवान के चरणों तक पहुंचाने का मार्ग प्राप्त हो जाता है और तन मन पावन हो जाता वे लोग बड़े ही भाग्यशाली होते हैं जिन्हें सतगुरु का सानिध्य प्राप्त होता है जब जब इस धरती लोक पर भगवान अवतरित हुए हैं उन्हें भी गुरु के मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ी है इसलिये अपने सतगुरु के बतायें मार्ग पर चले सतगुरु नाम जहाज है चढ़े से उतरे पार कहने का तात्पर्य यह है किस सतगुरु ही वह नाव है जिसमें सवार होकर हमें भवसागर पार होना है इसलिये हे भक्तजनों पूरे समर्पण भाव के साथ गुरु की शरणागत हो जाओ इस सृष्टि में सतगुरु ही ईश्वर के प्रतिनिधि हैं अगर गुरु की शरण प्राप्त कर ली तो ईश्वर को खोजने की आवश्यकता नहीं आप ईश्वर की शरण में ही है इस अवसर पर बोलते हुए श्री महंत सत्यव्रतानन्द महाराज ने कहा सतगुरु ही हमें भगवान तक पहुंचने का मार्ग दिखाते हैं सतगुरु हमारे सच्चे पथ दर्शक होते हैं मार्गदर्शक होते हैं सतगुरु के बिना ईश्वर तक नहीं पहुंचा जा सकता सतगुरु से ही हमें ज्ञान की प्राप्ति होती है कहने का तात्पर्य है सतगुरु के बिना हमें ज्ञान प्राप्त नहीं हो सकता सतगुरु के बिना हमारा कल्याण नहीं हो सकता सतगुरु के बिना हमें सत्य की राह प्राप्त नहीं हो सकती सतगुरु के बिना गति नहीं हो सकती इस सृष्टि में हमारे सतगुरु हमारे जीवन की धूरी के रूप में विद्यमान सतगुरु ही हमारे मन मस्तिष्क से अंधकार दूर कर उसमें ज्ञान का उदय करते इस अवसर पर महामंडलेश्वर चिद विलासानन्द महाराज महामंडलेश्वर परमानंद महाराज महामंडलेश्वर अन्नतानन्द महाराज महंत कमलेशानन्द सरस्वती महंत रवि देव वेदांताचार्य महंत केशवानंद महाराज पंजाबी बाबा सतपाल जी महंत गुरमल सिंह महाराज महंत परमानंद महाराज स्वामी प्रेमदास महाराज महंत सुधा योगी महाराज महंत राम योगी महाराज आचार्य राजाराम महाराज महंत बाबा जगजीत सिंह महाराज महंत धीरेंद्र पुरी महाराज महंत शुक्र गिरी महाराज कोतवाल कमल मुनि महाराज कोतवाल रमेशानंद देहरादून बाबा श्याम गिरी महाराज महंत हरिदास महाराज परवीन कश्यप मनोजानन्द सहित भारी संख्या में महंत महामंडलेश्वर संत तथा भक्तगण उपस्थित थे