आस्था

सतगुरु इस पृथ्वी लोक पर साक्षात ईश्वर के प्रतिनिधि के रूप में अवतरित होते हैं – डॉ गीता मनीषी राधा गिरी 

 

हरिद्वार 3 मार्च 2025( वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोज मनोजानंद)

हरिपुर कला स्थित अमीर गिरी आश्रम में भक्तजनों के बीच अपने श्री मुख से उद्गार व्यक्त करते हुए महामंडलेश्वर परम पूज्य डॉ गीता मनीष  राधा गिरी जी महाराज ने कहा प्रातः स्मरणीय गुरु भगवान परम वंदनीय आचार्य महामंडलेश्वर   अवधेशानंद गिरि जी महाराज अंतरराष्ट्रीय संरक्षक परम वंदनीय श्री हरि गिरि जी महाराज परम वंदनीय अंतर्राष्ट्रीय सभापति जूना अखाड़ा श्री प्रेम गिरि जी महाराज के पावन आशीर्वाद स्वरुप अखाड़े द्वारा मुझे जो महामंडलेश्वर पद पर विभूषित किया गया है

मैं अखाड़े के सभी संत महापुरुषों का इसके लिये आभार व्यक्त करती हूं सभी की सादर वंदना करती हूं उन्होंने कहा इस पृथ्वी लोक पर कोई भी चिन्ता मुक्त नहीं है जिसके पास धन है उसे संभालने की चिंता उसके लुट जाने की चिंता और जिसके पास नहीं है उसे कमाने की चिंता जीवन यापन के लियें संघर्ष की चिंता परिवार चलाने की चिंता किंतु संत महापुरुषों का जीवन वैराग्य धारण होता है जो सभी चिताओं से मुक्त होता है और भक्तजनों को भजन कीर्तन सत्संग धर्म कर्म दान सत्कर्म आदि के माध्यम से उनके कल्याण का मार्ग दिखाते हैं सतगुरु इस पृथ्वी लोक पर साक्षात ईश्वर के प्रतिनिधि के रूप में अवतरित होते हैं ईश्वर तक जाने वाला मार्ग सतगुरु के चरणों से होकर ही जाता है इसलिये जीवन में सतगुरु का मार्गदर्शन अति आवश्यक है जब जब इस धरती पर ईश्वर अवतरित हुए हैं तब तब उन्हें भी सतगुरु के मार्गदर्शन की आवश्यकता पड़ी है मनुष्य अगर चिंता मुक्त हो सकता है तो गुरु की शरण में जाने से हो सकता है गुरुद्वारा दिये गये ज्ञान के संवर्धन से हो सकता है चिन्ता ने चिता से मुस्कुराते हुए कहा तू मुर्दों को जलाती है और मैं जिन्दो को कहने का तात्पर्य यह है सन्यासी शिव स्वरूप है और शिव सव है और सुन्य हैं शिव ही जड़ है और शिव ही चैतन्य है अतः अपने परमात्मा स्वरुप गुरुजनों के बताये मार्गदर्शन में चलते हुए अपने जीवन को कल्याण की ओर ले जाये हरि भजन को आलसी भोजन को होशियार रे मानव ऐसे जीवन पर बार-बारधिकार अगर इस मानव जीवन को सार्थक करना चाहते हो तो गुरु की शरण में जाओ सतगुरु उंगली पड़कर भवसागर पार करायेंगे

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