राजकीय महाविद्यालय चिन्यालीसौड़ में करिअर काउंसलिंग एवं प्लेसमेंट प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित की गई कार्यशाला

प्रधान संपादक कमल मिश्रा ।
राजकीय महाविद्यालय चिन्यालीसौड़ में करिअर काउंसलिंग एवं प्लेसमेंट प्रकोष्ठ द्वारा आयोजित कार्यशाला में मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त पर्वतारोही चन्द्रप्रभा ऐतवाल ने विद्यार्थियों को सच्ची लगन, मेहनत और दृढ़ संकल्प का संदेश दिया।
महाविद्यालय के प्राचार्य एवं कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रोफेसर प्रभात द्विवेदी जी ने पद्मश्री चन्द्रप्रभा ऐतवाल जी के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा पर्वतारोहण के क्षेत्र में विद्यार्थियों विशेषकर छात्राओं के लिए ऐसी शख्सियत का आगमन निश्चित रूप से प्रेरणादायक अवसर है। जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत ऐसे महान व्यक्ति ही होते हैं जो न केवल वर्तमान बल्कि आने वाली पीढ़ी के लिए भी आदर्श की भूमिका निभाते हैं। आपको विभिन्न राष्ट्रीय तथा राज्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
करिअर काउंसलिंग एवं प्लेसमेंट प्रकोष्ठ के प्रभारी एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ किशोर सिंह चौहान ने बताया कि चंद्रप्रभा ऐतवाल जी एक जानी-मानी भारतीय पर्वतारोही हैं और भारतीय महिला पर्वतारोहियों में अग्रणी हैं। उन्हें भारतीय युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा 2010 में लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए तेनजिंग नोर्गे राष्ट्रीय साहसिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। साथ ही उन्हें पद्मश्री एवं अर्जुन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। उन्होंने नंदा देवी, कंचनजंगा, त्रिशूली और माउंट जौनली पर पर्वतारोहण किया। अर्थशास्त्र की प्राध्यापिका डॉ नेहा बिष्ट ने महिलाओं और पर्वतारोहण के विषय में अपने विचार व्यक्त किए।
राजनीति विज्ञान के प्राध्यापक डॉ विनीत कुमार ने कहा कि आज पर्वतारोहण एवं ट्रेकिंग एक सफल करिअर बन चुका है। उन्होंने जानकारी दी कि बहुत से स्थानीय युवाओं ने पर्यटन तथा पर्वतारोहण को करिअर के रूप में अपनाया है।
मंच संचालन कर रहे डॉ आलोक बिजल्वाण ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में वह 1981 में नंदा देवी सहित कई चोटियों के शिखर पर पहुँच चुकी हैं। वह 1984 में भारतीय पर्वतारोहण महासंघ द्वारा प्रायोजित माउंट एवरेस्ट अभियान का भी हिस्सा थीं। अगस्त 2009 में, 68 वर्ष की आयु में, वह भारतीय पर्वतारोहण महासंघ के एक महिला अभियान के हिस्से के रूप में दूसरी बार गढ़वाल हिमालय में 6,133 मीटर की ऊँचाई पर माउंट श्रीकांठा के शिखर पर पहुँचीं।
मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता पद्मश्री चंद्रप्रभा ऐतवाल जी ने अपने संबोधन में कहा कि महाविद्यालय में विद्यार्थियों के बीच आकर वह बहुत ही हर्ष महसूस कर रहीं हैं। उन्होंने अपने संघर्षपूर्ण जीवन के विभिन्न अनुभव छात्र-छात्राओं से साझा किए। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान, उत्तरकाशी से जुड़े रहकर उन्होंने बहुत से लोगों को कोर्स संपन्न करवाये। उन्होंने कहा कि ऊँचाई पर पहुंच कर ही न केवल दुनिया को बल्कि खुद को भी सही मायनों में समझ पाते हैं।
इस अवसर पर डॉ कृष्णा डबराल, डॉ खुशपाल, डॉ सुगंधा वर्मा, डॉ प्रभात कुमार सिंह,डॉ निशी दुबे, डॉ भूपेश चन्द्र पंत, स्वर्ण सिंह, सुनील गैरोला, सुरेश रमोला, विजयलक्ष्मी, हिमानी रमोला आदि उपस्थित रहे।