चिन्मय कुटी मे विद्यानन्द सरस्वती के षोडशी समष्टि भंडारे के अवसर पर भव्य संत समागम का आयोजन
श्रीमहंत 1008 स्वामी चिद् घनानन्द सरस्वती ने अपनी भावी शिष्य सच्चिदानन्द सरस्वती को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया
वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानंद
हरिद्वार 19 दिसंबर 2024। ब्रह्मपुरी स्थित श्री चिन्मय कुटी मे विद्यानन्द सरस्वती के षोडशी समष्टि भंडारे के अवसर पर एक भव्य संत समागम आश्रम के श्री महंत स्वामी चिद् घनानन्द सरस्वती महाराज की पावन अध्यक्षता में संपन्न हुआ।
इस अवसर पर परम पूज्य श्रीमहंत 1008 स्वामी चिद् घनानन्द सरस्वती महाराज ने अपनी सेवा भावी शिष्य सच्चिदानन्द सरस्वती को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए आश्रम के श्री महंत पद पर विभूषित किया।
इस अवसर पर बोलते हुए आश्रम के श्री महंत चिद् घनानन्द सरस्वती महाराज ने कहा साधु संत संप्रदाय के अनुसार गुरु शिष्य परंपरा भारतीय संस्कृति की प्राचीन परंपरा है गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत अपनी वृद्धा अवस्था को देखते हुए गुरु अपने स्थान के संचालन हेतु योग्य शिष्य का चयन करते हैं उन्होंने कहा इस संसार में धर्म कर्म और दूसरों की सेवा ही कल्याण का मार्ग है सच्ची श्रद्धा आस्था और ईश्वर भक्ति मनुष्य का लोक और परलोक सुधार देता पट्टाभिषेक अभिषेक कार्यक्रम मेंअनेको संत महापुरुष ने भाग लिया
जूना अखाड़े के महामंत्री श्री महंत राम गिरि महाराज ने कहा गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत गुरु अपने योग्य शिष्य को संत महापुरुषों की गरिमा मय उपस्थित के बीच पट्टाभिषेक अभिषेक तिलक चादर विधिक विधि विधान से धार्मिक परंपरा के अंतर्गत अपने उत्तराधिकारी के रूप में तिलक करते हैं ताकि उनके चले जाने के बाद उनके स्थान कुटिया आदि की विधिवत देखभाल हो सके तथा उनके स्थान पर आने वालों की देखभाल सेवा हो सके आश्रम आश्रम व कुटिया भी संरक्षित हो सके ।
इस अवसर पर स्वामी पूर्णानंद महाराज महंत राम गिरि महाराज, स्वामी धर्मेंद्र दास महाराज, स्वामी सच्चिदानंद महाराज उर्फ़ जीन्नत, आशुतोष गर्ग, अंजू अरोड़ा, संदीप मोगा, अंबिका टारिया, उर्मिला, शशि, अंशु, गौरव स्वामी प्रेमानंद महाराज साध्वी माता भगवती गिरी, अंबिका आशुतोष, राजीव, संदीप, गोपाल ,अतुल मैखुरी ,आशुतोष गर्ग, संदीप मोगा सहित भारी संख्या में संत महापुरुष तथा भक्तगण उपस्थित थे सभी ने आयोजित भंडारे में भोजन प्रसाद ग्रहण किया