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परमार्थ निकेतन में 9 से 15 मार्च, 2025 अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन

 

37वां वार्षिक अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव, परमार्थ निकेतन के लिये पंजीकरण शुरू

वैश्विक योगी परिवार का परमार्थ निकेतन में आगमन

योग के साथ परमार्थ निकेतन, गंगा आरती है विशेष आकर्षण

 

ऋषिकेश। हर वर्ष की तरह, इस वर्ष भी परमार्थ निकेतन में 37वां वार्षिक अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव 9 से 15 मार्च 2025 तक आयोजित किया जा रहा है। परमार्थ निकेतन, अपने अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के लिये दुनियाभर में प्रसिद्ध है, इस महोत्सव के माध्यम से योग के प्राचीन ज्ञान और आधुनिक जीवनशैली में सामंजस्य स्थापित करने का अद्भुत प्रयास किया गया है।

यह महोत्सव उन हजारों योग साधकों के लिए एक दिव्य अवसर है, जो दुनियाभर से ऋषिकेश आते हैं और माँ गंगा के पवित्र तट पर एकत्र होते हैं। इस आयोजन में वे न केवल योग की शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शक्ति को अनुभव करते हैं, बल्कि योग की परंपराओं और प्राचीन ज्ञान के बारे में गहन जानकारी भी प्राप्त करते हैं।

यह योग महोत्सव योगाचार्यों और विशेषज्ञों को भी एक साथ लाता है, जो इस महोत्सव में विभिन्न योग विधाओं, ध्यान साधना और प्राचीन भारतीय योग दर्शन पर प्रकाश डालते हैं। यहाँ आने वाले लोग न केवल योग के शारीरिक पहलुओं को आत्मसात करते हैं, बल्कि वे आत्मा और मन की गहरी समझ भी प्राप्त करते हैं।

महोत्सव के दौरान, प्रतिभागियों को विभिन्न योग शैलियों, प्राचीन योग विधाओं और ध्यान तकनीकों के बारे में जानने का अवसर प्राप्त होता है। विभिन्न योगाचार्य और विशेषज्ञ योग के विविध पहलुओं पर कार्यशालाएं आयोजित होती है। जिनमें आसन, प्राणायाम, ध्यान, और आयुर्वेद जैसे विषय शामिल हैं। इसके अलावा, इसमें जीवन को बेहतर बनाने के लिए शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य पर भी फोकस किया जाता है।

परमार्थ निकेतन द्वारा आयोजित यह अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव, विश्व में अपनी श्रेष्ठता और पहचान स्थापित कर चुका है। यह महोत्सव केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अत्यधिक सम्मानित और प्रतिष्ठित है। कई प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों ने इस महोत्सव की महत्ता को उजागर किया है। टाइम मैगजीन, न्यूयॉर्क टाइम्स, सीएनएन और अन्य प्रमुख मीडिया ने इस महोत्सव को कवर किया है, जो इसकी वैश्विक पहचान और प्रभाव को दर्शाता है।

इसके साथ ही, यह महोत्सव भारत की योग संस्कृति और परंपराओं को समृद्ध करने और पूरे विश्व में इसके महत्व को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यहाँ योग को एक कला के रूप में नहीं, बल्कि जीवन के प्रत्येक पहलू को संतुलित और स्वस्थ बनाने के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने ‘‘योगः कर्मसु कौशलम् एवं समत्वं योग उच्यते’’ का दिव्य संदेश देते हुये कहा कि योग केवल शारीरिक अभ्यास नहीं है, बल्कि यह एक जीवन पद्धति है जो मानसिक शांति, आत्मिक संतुलन और स्वस्थ शरीर की ओर मार्गदर्शन करता है।

इस वर्ष का अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव एक और कदम है योग की समृद्ध परंपरा को जीवित रखने और दुनिया भर के लोगों तक पहुँचाने का। आइए, इस अद्भुत योग महोत्सव का हिस्सा बनें और इस अवसर का लाभ उठाकर अपनी जीवनशैली में परिवर्तन लाएं। योग के माध्यम से जीवन को संतुलित और खुशहाल बनाएं, ताकि हम एक स्वस्थ और समृद्ध समाज की दिशा में कदम बढ़ा सकें।

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