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श्री हनुमान जन्मोत्सव, भक्ति, शक्ति और सेवा का प्रतीक- स्वामी चिदानंद सरस्वती  महाराज

हमारे पर्व सनातन संस्कृति की गौरवशाली धरोहर, सच्ची भक्ति वही है जो सेवा में बदल जाए - स्वामी चिदानन्द सरस्वती

कमल मिश्रा 

ऋषिकेश, 12 अप्रैल। भारत की सनातन संस्कृति अनादि और अनन्त है। इसकी आत्मा में जो तत्व समाहित हैं वह हैं धर्म, करुणा, सेवा, सत्य, और भक्ति। इन तत्वों का साक्षात् रूप हैं श्री हनुमान जी। आज श्री हनुमान जन्मोत्सव की आप सभी को अनेकानेक शुभकामनायें।

हनुमान जी, सनातन जीवनमूल्यों के जीवंत प्रतीक हैं। उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि भक्ति केवल मंदिरों तक सीमित नहीं है बल्कि वह सेवा, त्याग और संकल्प के रूप में प्रकट होती है।

श्री हनुमान जी, अष्टसिद्धियों और नव निधियों के दाता, रामभक्त शिरोमणि, संकट मोचन, अजर-अमर, और सर्वज्ञ है। वे पराक्रम के अवतार हैं और दास्य भाव की चरम परिणति हैं। प्रभु श्रीराम के प्रति उनका समर्पण पूर्णतः निःस्वार्थ और अहंकारहीन था। हनुमान जी केवल बलवान ही नहीं, अत्यंत ज्ञानी भी है। वे चारों वेदों और नौ व्याकरणों के ज्ञाता है। इतना सामथ्र्य होते हुए भी वे अत्यंत विनम्र थे।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि हनुमान जन्मोत्सव केवल एक पर्व नहीं, एक आत्मिक जागरण का अवसर है। यह दिन हमें स्मरण कराता है कि जीवन में कितनी भी बाधाएँ क्यों न आएँ, अगर हमारे भीतर भक्ति और सेवा की लगन है, तो हम किसी भी संकट को पार कर सकते हैं।

हनुमान जन्मोत्सव के माध्यम से हम न केवल हनुमान जी के जन्म की लीला को याद करे, बल्कि यह भी संकल्प ले कि हम उनके गुणों को आत्मसात कर समर्पण और सेवा के भाव से जीवन में आगे बढ़ते रहे। हनुमान जी की भक्ति, कर्मयोग से युक्त थी। वे हर क्षण अपने आराध्य की सेवा में तत्पर रहते। उन्होंने कभी अपनी शक्ति का प्रदर्शन नहीं किया, केवल आवश्यकता पड़ने पर, धर्म की रक्षा हेतु उसका उपयोग किया और संदेश दिया कि सच्ची भक्ति वह है जो जीवन को सेवा में बदल दे।

स्वामी जी ने कहा कि आज का युवा वर्ग अनेक दिशाओं में भटक रहा है, आत्मविश्वास की कमी, सामाजिक दबाव, डिजिटल व्यसन, और जीवन के उद्देश्य की अस्पष्टता। ऐसे में हनुमान जी के जीवन से युवा वर्ग को कई महत्वपूर्ण प्रेरणाएँ मिलती हैं। जब जामवंत ने उन्हें उनकी शक्ति का स्मरण कराया, तब उन्होंने समुद्र लांघा। यह युवाओं के लिए संकेत है कि अपनी शक्ति को पहचानो। आज जब संबंध क्षणभंगुर हो रहे हैं, हनुमान जी की श्रीराम जी के प्रति निष्ठा हमें सिखाती है कि समर्पण ही जीवन का मूल हैं। हनुमान जी का प्रत्येक कार्य किसी न किसी के हित के लिए होता था। आज के युवाओं में अगर सेवा और करुणा का बीज रोपित हो जाए, तो समाज में स्वर्णिम परिवर्तन संभव है। हनुमान जी का संयम युवाओं को यह प्रेरणा देता है कि सच्ची शक्ति संयम में है, व्यसन में नहीं। जीवन में चुनौतियाँ तो आएँगी ही, परंतु हनुमान जी की तरह उनका सामना साहस और धैर्य से करना ही सच्चा यौवन है।

आज जब विश्व हिंसा, घृणा और असहिष्णुता के दौर से गुजर रहा है, हनुमान जी जैसे महापुरुषों की शिक्षाओं को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। वे संकटमोचन हैं, उनका नाम लेने मात्र से भय दूर होता है, मन में बल का संचार होता है।

हनुमान जी का जीवन शक्ति और भक्ति का अद्भुत संगम है आज उनके जन्मोत्सव पर सभी यह संकल्प लें कि जीवन में श्रद्धा, सेवा, साहस, और संकल्प के साथ आगे बढ़ें, और एक ऐसे भारत का निर्माण करें जो आध्यात्मिक, सामाजिक और वैश्विक रूप से समृद्ध हो।

हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर परमार्थ निकेतन में तीन दिवसीय रिट्रीट का आयोजित किया गया जिसमें विशेष यज्ञ, सुंदरकाण्ड पाठ, भजन संध्या और ध्यान व योग सत्रों के माध्यम से भक्त व साधक हनुमान जी के जीवन से प्रेरणा ले रहे हैं।

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