हरिद्वार

मनुष्य की इच्छाओं का कभी अंत नहीं होता एक के बाद एक बढ़ती रहती है- महामंडलेश्वर संजय गिरी महाराज

 

हरिद्वार (वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानन्द) कांगड़ी स्थित सदगुरुदेव आश्रम में अपने श्री मुख से उद्गार व्यक्त करते हुए महामंडलेश्वर परम पूज्य श्री श्री संजय गिरी महाराज ने कहा मनुष्य की जिज्ञासा और इच्छाये सदैव असीमित होती हैं एक के बाद एक बढ़ती रहती है जिनका ध्यान हरि चरणों में न होकर सांसारिक सुख सुविधा भोग की तरफ होता है उनका मन सदैव जिज्ञासा वस उलझा रहता है एक के बाद एक इच्छाये बढ़ती रहती है किंतु जिसका ध्यान हरि चरणों में लगा रहता है वह इन सांसारिक जरूरतो से और इच्छाओं से परे होता है कहने का मतलब यह है कुछ भी कहा अंत होता है और अंत का भी अंत होता है पतझड़ भी कुदरती घटना है साल भर कब बसंत होता है कहने का मतलब यह है जिस प्रकार मनुष्य जन्म होने पर भी मिठाई खाता है और मृत्यु पर भी 13वीं में खीर पूरी लड्डू खाता है जन्म के समय तो माना खुशी थी किंतु मृत्यु के समय तो रंज होता है और रज में भी मिठाई खा रहा है सिर्फ स्वरूप बदला है बात वही है मनुष्य कभी अवसर से नहीं चूकता फर्क इतना है की 13वीं में बनायी गई मिठाई इसलिये बनाई जाती है की मरने वाले की आत्मा को शांति मिले उसे भोजन की प्राप्ति हो उसे भोग लगाया जाता है किंतु वह कहां खाने आता है अगर खिलाना है तो जीते जी खिलाये नहीं तो मरने के बाद वह कहां खाने आयेगा यह झूठ परपंच क्यों जो भी सेवा टहल देखभाल करनी है खिलाना पिलाना है वह अपने प्रिय जनों वृद्ध बड़े बुढो को जीते जी खिलाये उनकी सेवा करें तभी उनका मन तृप्त होगा उनकी आत्मा आपको सच्चा आशीष देगी अन्यथा मृत्यु के बाद आप लाख लाख भोग लगाये वह सिर्फ निमित्त मात्र है

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