भगवान हरि की महिमा का गुणगान ही मनुष्य जीवन के उद्धार का सच्चा मार्ग है- श्री कृष्णा संजय महाराज

हरिद्वार। कांगड़ी गाजीवाला में आयोजित कथा के दौरान श्रद्धालु भक्तजनों के मध्य देश के प्रख्यात कथा व्यास, ज्ञानमूर्ति पूज्य श्री कृष्णा संजय जी महाराज (पीठाधीश्वर — मोहन गोकुलधाम) ने अपने दिव्य वचनों से भक्तिरस की अविरल गंगा प्रवाहित की।
महाराजश्री ने कहा कि यदि कोई मनुष्य प्रतिदिन प्रातःकाल उठते ही मन ही मन तीन बार “नारायण… नारायण… लक्ष्मी श्री नारायण…” का स्मरण कर लेता है, तो उसे न केवल आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि उसके जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है। ऐसा जप तन और मन को पावन करता है, उसका रोम-रोम भक्ति के रस में भीग जाता है और अंतर्मन में परम आनंद की अनुभूति होती है।
उन्होंने कहा कि भगवान नारायण सृष्टि के मूल कारण हैं और भगवान शिव इस सृष्टि के सुशोभनकर्ता। जड़ हो या चेतन, दोनों ही शिवतत्व से प्रेरित हैं।
भगवान विष्णु और भगवान शिव, यद्यपि स्वरूप में भिन्न प्रतीत होते हैं, परंतु वस्तुतः दोनों एक ही परब्रह्म के अभिन्न रूप हैं। इसलिए जो शिव का भजन करता है, नारायण उससे प्रसन्न होते हैं।
और जो नारायण का भजन करता है, शिव स्वतः ही प्रसन्न हो जाते हैं।जिसके हृदय में भक्ति का निवास होता है, वहाँ ईश्वर स्वयं वास करते हैं।भक्ति ही जीवन का सार है, भजन ही आत्मा का आधार है।
ऐसे भावपूर्ण सत्संग में समस्त भक्तगण स्वयं को कृतार्थ अनुभव करते हैं।