स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने प्रयागराज मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत से की विशेष भेंटवार्ता, कुम्भ पर हुई विशेष चर्चा
ऋषिकेश/ प्रयागराज, 8 जुलाई। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और प्रयागराज मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत की विशेष भेंटवार्ता हुई। इस अवसर पर ’कुम्भ व कुम्भ के बाद क्या’? विषय पर स्वामी जी ने विस्तार पूर्वक चर्चा की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने आदरणीय कर्मठ, कर्मयोगी और ईमानदार मुख्यमंत्री उत्तरप्रदेश योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में आयोजित आगामी कुम्भ मेला के सफल आयोजन हेतु पूर्व में ही मंडलायुक्त प्रयागराज विजय विश्वास पंत और शासन, प्रशासन के सभी अधिकारियों को शुभकामनायें देते हुये कहा कि प्रयागराज कुम्भ पूरी दुनिया के लिये आकर्षण का केन्द्र बनेगा। परमार्थ निकेतन भी आगामी प्रयाग कुम्भ की तैयारियां कर रहा हैं। विश्व के सबसे बड़े आध्यात्मिक कुम्भ मेले को यादगार व ऐतिहासिक बनाने के लिये अद्भुत योजना बनायी जा रही हैं।
प्रयागराज के इस पूरे क्षेत्र को हरा-भरा करने के लिये स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने हैदराबाद, तमिलनाडु, कलकता, दिल्ली और इन्दौर के पौधों के विशेषज्ञों को बुलाकर उनके साथ मीटिंग की ताकि पूरे क्षेत्र में आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी वाले पौधों का भी रोपण किया जा सके।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि प्रयागराज महर्षि भारद्वाज मुनि की भूमि है। परमार्थ त्रिवेणी पुष्प के माध्यम से हमारा उद्देश्य है कि अब यहां से पुनः वेदों, उपनिषदों, गुरूकुलों यज्ञ, योग, ध्यान, आयुर्वेद पर पठ्न-पाठन, मनन-चिंतन हो, संत सम्मेलन, सत्संग व प्रवचन हो ताकि यह संगम की भूमि संयम व समागम की भूमि बने।
स्वामी जी ने कहा कि श्रद्धालु काशी जाते हैं तो रूकते हैं, अयोध्या जाते हैं तो रूकते हैं, हमारे यहां परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश आते हैं तो एक-दो दिन नहीं बल्कि कई दिनों रूकते हैं वैसे ही प्रयागराज आये तो यहां पर भी रूकें। उन्हें अपने घर की तरह लगे और रूकने का मन करे। यहां लेटे हनुमान जी है, अक्षयवट का दर्शन करे, त्रिवेणी संगम में स्नान कर वे यहां से निकले नहीं बल्कि उन्हें यहां रूकने जैसा लगे।
स्वामी जी ने कहा कि यहां पर कुछ ऐसा हो कि डुबकी संगम में लगे और डुबकी संयम की भी लगे। एक बाहर की डुबकी और एक भीतर की डुबकी इसके लिये कुछ करना होगा। परमार्थ त्रिवेणी पुष्प में योग, ध्यान, प्राणायाम के साथ ही आयुर्वेद और वेलनेस का सेंटर भी बनाया जा रहा है क्योंकि यह महर्षि भारद्वाज की भूमि है जो कि आयुर्वेद के पहले संरक्षक थे।
स्वामी जी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने योग के माध्यम से पूरे विश्व में कमाल कर दिया। आज जहां देखो योग का प्रभाव है और आयुर्वेद का प्रभाव भी इतना अद्भुत है, अगर उसे सही तरीके से अपनाया जाये तो कमाल किया जा सकता है। आयुर्वेद वास्तव में आयु और वेद। आयु का संबंध तन से है परन्तु वर्तमान समय में प्रदूषण के कारण तन की आयु भी कम होती जा रही है और मन की आयु भी खतम होते जा रही हैं इसलिये तन, मन और अपने आत्मा के संयम के लिये भी परमार्थ त्रिवेणी पुष्प का निर्माण किया जा रहा है ताकि मन स्थिर, तन स्वस्थ और जीवन मस्त हो।
परमार्थ त्रिवेणी पुष्प में युवाओं के लिये शिक्षा का एक सुन्दर प्रयोग करने हेतु विचार विमर्श किया जा रहा है। वहां पर एक संस्कारों का केन्द्र बनाने हेतु भी योजना बनायी जा रही है ताकि युवा तनावमुक्त हो सके।
स्वामी जी ने बताया कि पूर्व से ही प्रयागराज नगरी चिंतन की नगरी रही हैं। यहां के मन्दिरों का इतिहास अद्भुत है। शासन के द्वारा भी उसे पुनः पुर्नजीवित करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि यहां की इस प्राचीन, सांस्कृतिक व आध्यात्मिक धरोहर के पुनः दर्शन हो सके और आने वाली पीढ़ियां हमारे इस गौरवशाली इतिहास से जुड़ें और इसके बारे में जान सकें।
प्रयागराज प्राचीन काल से ही हरा-भरा था इसलिये अब खाली पड़ी जमीनों में पौधा रोपण की योजना बनायी जा रही है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेेन्द्र मोदी जी के आह्वान ’एक पेड़़ मां के नाम’ अभियान को माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में बड़ी ही दिव्यता से लागू की जा रहा हैं ताकि प्रयाग फिर से हरा-भरा हो सके।