हरिद्वार

भव्य समारोह के साथ  मनाया  गया श्री जगद्गुरू उदासीन आश्रम का वार्षिकोत्सव

संत महापुरुष है  इस पृथ्वी लोक पर चलते-फिरते तीर्थ,  संतों का जीवन समाज को समर्पित होता है - श्री महंत सुतीक्ष्ण मुनि महाराज

 

हरिद्वार, 22 मई {वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानंद) जस्साराम रोड़ स्थित श्रीजगद्गुरू उदासीन आश्रम का 54वां वार्षिक महोत्सव संत महापुरूषों के सानिध्य व श्रद्धालु भक्तों की उपस्थिति में समारोह पूर्वक मनाया गया। इस दौरान संत समागम का आयोजन किया गया। जिसमें सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों ने ब्रह्मलीन स्वामी सत्यनामदास महाराज, ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी प्रियतम मुनि महाराज एवं ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णानंद महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की। आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि महाराज के संयोजन में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के मुखिया महंत रामनौमी दास महाराज ने कहा कि समाज को धर्म और अध्यात्म का ज्ञान प्रदान कर देश की सांस्कृतिक एकता को मजबूत करने में संत महापुरूषों की हमेशा अहम भूमिका रही है। स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि जिस प्रकार अपने गुरूजनों की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं। वह सभी युवा संतों के लिए प्रेरणादायी है। इस अवसर पर बोलते हुए श्री महंत सुतीक्ष्ण मुनि महाराज ने कहा संत महापुरुष इस पृथ्वी लोक पर चलते फिरते तीर्थ के सामान है संतों का जीवन समाज को समर्पित होता है निर्धन निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषि रामकृष्ण महाराज एवं महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी ने कहा कि युवा संत स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि महाराज संत परंपरांओं का पालन करते हुए सनातन धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में उल्लेखनीय योगदान कर रहे हैं। महामंडलेश्वर स्वामी अनंतानंद, महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप एवं बाबा हठयोगी ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी सत्यनामदास महाराज, ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी प्रियतम मुनि महाराज एवं ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी कृष्णानंद महाराज संत समाज की दिव्य विभूति थे। उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए मानव कल्याण में योगदान का संकल्प ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि महाराज ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्य गुरूजनों द्वारा दिए गए ज्ञान और शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए आश्रम की सेवा परंपरा का विस्तार करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि महाराज की उनके गुरूजनों के प्रति सच्ची सेवा भक्ति श्रद्धा सभी के लिए प्रेरणादायी है। साध्वी नारायण मुनि, स्वामी हरिहरानंद, स्वामी दिनेश दास ने सभी फूलमाला पहनाकर सभी संतों का स्वागत किया। इस अवसर पर स्वामी अनंतानंद, महंत मोहन सिंह, पदम प्रसाद द्विवेदी, महंत राघवेंद्र दास, महंत सूरज दास, महंत जगजीत सिंह, महंत सूर्यमोहन सिंह, महंत विष्णुदास, महंत गंगादास उदासीन, स्वामी कपिल मुनि, स्वामी निर्मलदास, महंत गोविंददास, महंत रघुवीर दास, महंत प्रेमदास, महंत मधूसूदन गिरी कोतवाल कमल मुनि महाराज सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष व श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।

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