ऋषिकेश

चिदानन्द सरस्वती  ने योग के साथ प्रकृति योग का दिया संदेेश

प्रधान संपादक कमल मिश्रा 

इग्लैंड के प्रसिद्ध योगाचार्य माइकल मिलर के मार्गदर्शन में विश्व के कई देशों से आये योग जिज्ञासु परमार्थ निकेतन में विगत 15 दिनों से कर रहें ध्यान व यो

ऋषिकेश, 23 अक्टूबर। प्रसिद्ध योगाचार्य माइकल मिलर के मार्गदर्शन में परमार्थ निकेतन में पिछले 15 दिनों से विशेष योग प्रशिक्षण शिविर चल रहा है। इसमें अमेरिका, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, इटली, आयरलैंड, पोलैंड सहित विभिन्न देशों से आए योग जिज्ञासु शामिल हुए हैं। योग जिज्ञासुओं को परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती  और साध्वी भगवती सरस्वती  का पावन सान्निध्य और आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

योग जिज्ञासु, प्रातःकालीन प्रार्थना, योग, यज्ञ, गंगा जी की आरती, सत्संग और विभिन्न आध्यात्मिक गतिविधियों का दिव्य आनंद ले रहे हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने योग के साथ-साथ प्रकृति योग का संदेश देते हुये कहा कि प्रकृति के साथ सामंजस्य और एकता का अनुभव करना ही वास्तव में योग है।

योगाचार्य माइकल मिलर, अपनी विशिष्ट योग शैली और गहन अनुभव से प्रतिभागियों को योग और ध्यान की गहन विधाओं का अनुभव कर रहे हैं। वे प्रतिभागियों को योग के माध्यम से न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और आत्मिक विकास की दिशा में भी प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने कहा वे विगत कई वर्षों से विश्व के कई देशों के योग जिज्ञासुओं के दल के साथ परमार्थ निकेतन आते हैं और 15 दिनों तक यहां के दिव्य वातावरण में रहकर योग के माध्यम से आत्म व परमात्मा से जड़ने की साधना करते हैं। परमार्थ निकेतन के दिव्य वातावरण में रहकर योग व ध्यान की ऊर्जा का विलक्षण प्रभाव देखने को मिलता है। इस दिव्यता से युक्त वातावरण में योग का प्रभाव और अधिक स्पष्ट व तीव्र होता है। परमार्थ निकेतन का दिव्य वातावरण यहां आने वालों को एक नई दृष्टि और ऊर्जा से भर देता है। यहां आकर केवल योग की ऊर्जा ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा भी प्राप्त होती है।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि योग न केवल एक शारीरिक अभ्यास है, बल्कि यह आत्मिक उन्नति और आत्मा की शुद्धि का एक सरल व सहज मार्ग है जो भीतर की शांति और मानसिक संतुलन प्रदान करता है।

 

स्वामी जी ने योग जिज्ञासुओं को संदेश दिया कि अब योग तो करें साथ ही धरती योग भी करें क्योंकि पेड़ होगे तो पानी होगा, पानी होगा तो जीवन होगा और जीवन बचेगा तभी तो योग होगा इसलिये आईये मिल कर पेड़ लगायें, पर्यावरण बचायें क्योंकि प्रकृति बचेगी तो संस्कृति बचेगी और संतति बचेगी। अब समय आ गया कि योग की ज्योति, मशाल बनकर पूरे विश्व को प्रकाशित करती रहें ताकि आने वाली पीढियों को भी मार्गदर्शन प्राप्त होता रहें।

 

साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा, कि योग हमें न केवल हमारे शरीर के प्रति जागरूक करता है, बल्कि यह हमें प्रकृति और समाज के प्रति भी जागरूक करता है। योग के माध्यम से हम एक स्वस्थ और सामंजस्यपूर्ण जीवन जी सकते हैं। योग केवल एक व्यायाम नहीं है, बल्कि यह जीवन की एक पद्धति है। योग हमें अपने शरीर, मन और आत्मा को संतुलित रखने की प्रेरणा देता है। परमार्थ निकेतन में योग का अभ्यास एक दिव्य और समृद्ध अनुभव है।

योग जिज्ञासुओं ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि परमार्थ निकेतन में योग करना एक जीवन बदलने वाला अनुभव है। अमेरिका से आई एक प्रतिभागी ने कहा, ’मैंने कई योग स्टूडियो में अभ्यास किया है, लेकिन यहाँ परमार्थ निकेतन में योग करना एक अद्भुत अनुभव है। यहाँ की दिव्यता और शांति ने मुझे आत्मिक शांति प्रदान की है। गंगा जी के तट पर स्थित होने के कारण यह स्थान आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर है। इस दिव्य स्थान पर योग और ध्यान करने से मन और आत्मा को एक विशेष शांति प्राप्त होती है। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य और शांत वातावरण जीवन को और भी समृद्ध बनाता है।

इंग्लैंड से आये योग प्रेमी ने बताया, परमार्थ निकेतन आकर योग का वास्तविक मतलब समझ में आया। यह केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि आत्मा की शुद्धि और मानसिक शांति का मार्ग है।

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