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मन की झूठी तृष्णा झूठी चमक धमक झूठी शान मिटाकर भगवान को पुकारो तो सही भगवान दर्शन देने दौड़े चले आयेंगे – श्रीमहंत रामवीर दास महाराज

 

हरिद्वार (वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोज मनोजानन्द)

नौमी डेरा गाजीवाला कांगड़ी में परम पूज्य गुरुदेव बाबा दयाचन्द दास जी महाराज की पावन कृपा स्वरूप आश्रम में वार्षिक उत्सव संत समागम बड़े ही धूमधाम हर्षोल्लास के साथ मनाया गया इस अवसर पर भक्तजनों के बीच अपने श्री मुख से ज्ञान की वर्षा करते हुए आश्रम के श्री महंत परम पूज्य रामवीर दास जी महाराज ने कहा अगर भगवान को प्राप्त करना चाहते हो अपने जीवन में भगवान का सिमरन करना चाहते हो तो सबसे पहले अपने मन की तृष्णाओं एवं आवश्यकताओं पर अंकुश लगाये तथा झूठी शान को जब तक नहीं भूलेंगे जब तक आपके जीवन में किसी और वस्तु की आवश्यकता महसूस हो रही है तब तक भगवान हरि की डोर से आपकी डोर कैसे जुड़ सकती है जीवन में कुछ भी प्राप्त करने के लिए मनुष्य को लक्ष्य साधना पड़ता है बिना लक्ष्य साधे आपका प्रयास सफल नहीं होगा अगर हरि आराधना में ईश्वर आराधना में आपका मन लगने के बजाय किसी और भटकता रहेगा अपने आराध्य ईश्वर की आराधना के बजाय मन में कोई और सोच चल रही है तो आपका भजन कैसे भगवान तक पहुंचेगा इसलिये अनावश्यक जरूरत और तृष्णाओं का त्याग करें लोभ लालसा और दूसरों की निंदा का त्याग करें सिर्फ अपने जीवन में दो वक्त के भोजन अगर वह भी आवश्यक समझे तो और मस्त मंद होकर हरि भजन में लीन रहो हरि आपसे मिलने के लिये आतुर रहेंगे चाहे आपके आराध्य भगवान राम हो भगवान कृष्ण माता जानकी हो या भगवान भोलेनाथ हो यह संकट मोचन हनुमान हो या कोई अन्य देवी देवता हो वो आपकी एक पुकार पर दौड़े चले आयेंगे एक बार मन की तृष्णा मुक्त जीवन से अपने आराध्य को पुकारो तो सही किंतु जब तक आपका मन मस्तिष्क एकाग्र नहीं होगा आप एकांत चित नहीं होंगे शरीर की इंद्रियों के घोड़ो पर लगाम नहीं लगायेंगे तब तक सच्ची पुकार कैसे लगेगी क्योंकि आपके मन में कुछ और चल रहा होगा और आप ऊपरी भाव से पूजा पाठ कर रहे होंगे तो ऐसी पूजा आराधना का कोई फल प्राप्त नहीं होगा पहले ईश्वर के अधीन हो जाओ अपने चित्त और मन को ईश्वर के चरणों में अर्पित कर दो तब आपको चारों तरफ आपके गुरुदेव और भगवान हरि और जो भी आपके आराध्य देवी देवता हैं वेही नजर आयेगे उनके ध्यान में अपने चित को लगाओ तो सही आपके ईश्वर आपकी पुकार को सुनकर आपके दर्शन देने व मनोवांछित फल प्रदान करने हेतु अवश्य आयेंगे किंतु इसके लिये गुरुजनों का मार्गदर्शन अति आवश्यक है ईश्वर तक जाने वाला मार्ग गुरु चरणों से होकर जाता है इस सृष्टि में गुरुजनों की महिमा बड़ी ही अपरंपार है जब-जब इस धरा पर भगवान अवतरित हुए हैं तब तब उन्हें भी गुरु के मार्गदर्शन की आवश्यकता हुई है इसलिये अपने सतगुरु के बतायें मार्ग पर चलो वही मार्ग आपको आपके आराध्या के श्री चरणों में ले जायेगा जिनकी आप आराधना करते हैं आश्रम में इस अवसर पर एक विशाल यज्ञ तथा संत भंडारे का भी आयोजन किया गया जिसमें हरिद्वार के अनेकों मठ मंदिर आश्रमों से आये संत महापुरुषों तथा भक्तजनों ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया इस अवसर पर महंत वीरेंद्र स्वरूप महाराज महंत बाबा मस्त गिरी महाराज महंत गुरमल सिंह महाराज महंत महंत किशोरी दास महाराज महंत कन्हैया दास महाराज महंत रजनी गिरी महाराज महंत आकाश गिरी महाराज रामदास महाराज कोतवाल कमल मुनि महाराज श्री देवकांत शर्मा  रमेश सैनी सहित अनेको संत महंत तथा भक्तगण उपस्थित थे

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