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अपने हरिद्वार के लिए दाे टूक 

हरिद्वार के विकास हेतु अभी काफी कुछ सीखने की जरूरत

 

डॉ० हरिनारायण जाेशी “अंजान”

हरिद्वार के लिए हर पांचवें साल अरबाें में बजट स्वीकृत हाेता है। इतनी कम अवधि में सामान्य घराें की रंगाई पुताई भी नहीं हाेती है। इतने भारी भरकम बजट से हरिद्वार की तस्वीर स्वच्छता, साैन्दर्यता की मानक हाेनी चाहिए थी। नगर अतिक्रमण और जाम से मुक्त हाेना चाहिए था। हरिद्वार पहाड़ और मैदान के सम्मिश्रण से निर्मित प्रकृति की एक महान कृति है। इतने भारी बजट में इसकी सजावट तो दुल्हन जैसी होनी चाहिए थी। इसका आकर्षण अनूठा होना चाहिए था।

हरिद्वार से लगभग 250 किमी की दूरी पर चण्डीगढ है। वहां के इंजीनियर और तकनीशियनाें से सड़क निर्माण, खुलापन और सजावट के गुर सीखे जा सकते हैं। और ताे और नगर में ही स्थित एक बीएचईएल फैक्ट्री के निर्माण मैनेजमेंट से भी प्रेरणा ली जा सकती है। गंगा तटाें और घाटाें पर खाेखे लगाने से, नगर काे अतिक्रमणाें से पाटने से, हरि की पैड़ी को खाने-पीने का चौपाटी बाजार बनाने से न गंगा स्वच्छ- पवित्र रहेगी और न हरिद्वार की मर्यादा। जिस हरिद्वार में आने के लिए खुशी से दिल धड़कना चाहिए था वहां आने के लिए कई बार सूचना पड़ता है। हरिद्वार में ध्वनि प्रदूषण इतना अधिक बढ़ गया है जो अन्य शहरों में भी नहीं है ।एक अधिकारी यदि कुछ गलत निर्णय लेता है तो दूसरा उससे दो कदम आगे हो जाता है। हर की पैड़ी की सुव्यवस्था के लिए वहां जो माइक लगाए गए हैं पता नहीं क्यों उनको सारे नगर भर में भी क्यों लगा दिया है। लोग अपने घर के भीतर भी खोया पाया सुनते रहते हैं। लेकिन न प्रशासन सोचता है और ना नागरिक।

नगर निगम राजनीति का अड्डा है। यह पार्टी और वह पार्टी। राजनेताओं में इतनी निर्णायक और नेतृत्व क्षमता नहीं है कि अधिकारी कार्य योजना को पारदर्शिता और ईमानदारी से करें‌। अन्यथा नगर इस स्थिति में होता ही नहीं‌। वर्तमान में नगर विकास हेतु सरकार द्वारा कई कार्ययाेजनाओं का संचालन हाे रहा है। इसमें उत्कृष्ट इंजीनियरिंग और तकनीकि की आवश्यकता है। जल निकास की उचित व्यवस्था नहीं हाेगी ताे समस्या और बढ़ेगी। इस हेतु सम्बन्धित विभागाें काे क्रियान्वयन से पहले सम्पूर्ण कार्ययाेजनाओं काे मूर्तरूप देना चाहिए।

डॉ० हरिनारायण जाेशी “अंजान”

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