ऋषिकेश

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्वामी चिदानंद सरस्वती  ने हरित काव्यपाठ कर पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश

प्रधान संपादक कमल मिश्रा 

ऋषिकेश, 5 जून। विश्व पर्यावरण दिवस के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के आशीर्वाद से आज राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्र व्यापी कवियों ने पर्यावरण को समर्पित कविताओं का पाठ कर सभी को भावविभोर कर दिया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती  मानस कथाकार संत मुरलीधर जी, राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष  संत जगदीश परमार्थी, संरक्षक, राष्ट्रीय कवि संगम, ओजकवि डा हरिओम पवार  और भारत के विभिन्न राज्यों से आये युवा कवियों ने दीप प्रज्वलित कर हरित व पर्यावरण समर्पित काव्यपाठ किया। मध्यप्रदेश की न्यायमूर्ति  सुनीता यादव और उनके पति डायरेक्टर जनरल, फारेस्ट  एसपी यादव  ने भी काव्यपाठ का पूरा-पूरा आनंद लिया।

स्वामी जी ने देश के विभिन्न राज्यों से कवियों को आज विश्व पर्यावरण दिवस पर एक-एक रूद्राक्ष का दिव्य पौधा भेंट करते हुये कहा कि हमारी धरती ही हमारा भविष्य है। पेड़-पौधें धरती का श्रंगार हैं। पेड़ हैं तो हमारा जीवन हैं। आईये आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर अपनी धरा को हरियाली से युक्त, प्रदूषण से मुक्त करने का संकल्प लें। आप सभी कवि इस दिव्य मंच से पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लेगे तो दूसरों को भी प्रेरणा मिलेगी। जिससे किसी का दिन, किसी का दिल और किसी का पूरा जीवन बदल जायेगा।

स्वामी  आज परमार्थ गंगा तट से सभी का आह्वान करते हुये कहा कि सम्पूर्ण मानवता का अस्तित्व पर्यावरण पर निर्भर करता है, वर्ष 2000 के बाद से धरती पर 29 प्रतिशत सूखे की वृद्धि हुई है हम तुरन्त न जागे और हमने एक्शन नहीं लिया तो वर्ष 2050 तक दुनिया की 80 प्रतिशत आबादी सूखे से प्रभावित हो सकती है इसलिये हम सभी को कुछ न कुछ कदम उठाने होगे। जो जिस भी क्षेत्र में भी कार्य कर रहे हैं उन सभी को अपने जीवन के लिये ऑक्सीजन की जरूरत तो हैं इसलिये पर्यावरण संरक्षण के लिये सभी को अपने – अपने स्तर पर कार्य भी करने होगे तभी कुछ हम परिवर्तन ला सकते हैं।

स्वामी  ने कहा कि अब समय आ गया कि हम ज्यादा से ज्यादा पेड़-पौधों का रोपण कर कटते व समाप्त होते जंगलों को बचा सकते हैं क्योंकि जगंल नदी की मां है, पेड़ होंगे तो जंगल होंगे, पर्यावरण बचेगा तो पानी बचेगा। पेड़ हैं तो वायु है, वाायु है तो आयु है, आयु है तो जीवन है, जीवन है तो परिवार है, प्यार, आनंद है, मस्ती है, हरियाली है और खुशहाली है इसलिये पौधों के रोपण को एक अनिर्वाय कार्य की तरह करना होगा। साथ ही हमें सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग बंद करना होगा ताकि मिट्टी की उर्वरक क्षमता को वापस लाया जा सके।

स्वामी  ने कहा कि विश्व पर्यावरण दिवस वर्ष 2024 की थीम ‘हमारी धरती, हमारा भविष्य’ रखी है और हम तो युगों से इस बात को मानते आ रहे हैं कि

माता भूमिः पुत्रो अहं पृथिव्याः परन्तु अब इसे जीने का समय आ गया है क्योंकि हमारी धरती, हमारी प्रकृति अब आपातकालीन स्थिति से गुजर रही है; आईसीयू में हैं।

इस सदी में ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से कम रखने के लिए हम सभी को कुछ कदम उठाने होंगे हमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को लगभग आधा करना होगा, वायु प्रदूषण को कम करना होगा, प्लास्टिक कचरा जो बढ़ता ही जा रहा है उसे कम करना होगा। साथ ही पर्यावरण से संबंधित इन गंभीर मुद्दों के समाधान के लिए तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता है। आईये आज संकल्प ले कि हम प्रत्येक पर्व को पर्यावरण संरक्षण से जोड़कर मनायेंगे। वैसे भी हामरी प्राचीन संस्कृति प्रकृति पूजक व संरक्षक की संस्कृति है इसलिये मिशन लाइफ के सूत्रों को अपनाकर प्रकृति को पुनर्जीवित करने की दिशा में कदम बढ़ाये।

 

स्वामी  ने कहा कि कल वट सावित्री का व्रत है। मातायें – बहनें मंगल कामना, आरोग्य व दीर्घायु के लिये इस व्रत को करती हैं। हम वट, पीपल, पाकर, आंवला, तुलसी न जाने कितने वृक्षों की पूजा करते हैं वह इसलिये नहीं की कोई चमत्कार हो जायेगा बल्कि इसलिये की उनके संरक्षण में ही हमारा संरक्षण है इसलिये आईये आज विश्व पर्यावरण दिवस पर संकल्प लें कि सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेंगे तथा घर में जितने सदस्य उतने पौधों का रोपण प्रतिवर्ष करें।

राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संत जगदीश परमार्थी जी ने कहा कि परमार्थ गंगा तट व पूज्य स्वामी जी का सान्निध्य पाकर देश के विभिन्न राज्यों से आये हमारे कवियों का जीवन धन्य हो गया। इस विश्व विख्यात मंच पर पूज्य संतों के सान्निध्य में खड़े होकर कविता पाठ करने के साथ ही जीवन के अद्भुत सूत्र प्राप्त हुये मानो जीवन धन्य हो गया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंघचालक राष्ट्रऋषि श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर जी (गुरुजी) की पुण्यतिथि पर भावपूर्ण श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुये आज की परमार्थ निकेतन गंगा आरती उनकी राष्ट्र सेवा को समर्पित की।

राष्ट्रीय कवि संगम के राष्ट्रीय अध्यक्ष  संत जगदीश परमार्थी जी, संरक्षक, राष्ट्रीय कवि संगम, ओजकवि डा हरिओम पवार ,  सह महामंत्री  महेश कुमार शर्मा,  रोहित चौधरी,  आशीष सोनी , कल्पना शुक्ला,  मोहित शौर्य,  योगेश मिश्रा,  महिमा,   जयेन्द्र कौशिक,   अशोक गोयल ,  श्रीकांत शर्मा  और राष्ट्रीय स्तर के अनेक कवियों ने सहभाग कर कविताओं के माध्यम से अपनी विलक्षण प्रतिभा के दर्शन कराये।

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