भागवत कथा के छटवें दिन आचार्य रविशंकर शुक्ल ने कथा के माध्यम से श्रद्धालुओं को भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न रूपों के दर्शन करवाए
श्रवण कुमार झा
हरिद्वार। श्री गुरु सेवक निवास में जारी उन्नीसवीं गुरु स्मृति महोत्सव के तहत आयोजित श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के छठे दिन कथा व्यास आचार्य रवि शंकर ने भागवत की महिमा के साथ साथ भगवान कृष्ण के विभिन्न स्वरुपों के बारे श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया। कथा व्यास ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पूजन करवाकर प्रकृति का संवर्धन करने की प्रेरणा दी।
कथा का श्रवण कराते हुए आचार्य जी ने बताया कि एक बार जब बृजवासी देवराज इंद्र का पूजन करने जा रहे थे। कृष्ण ने सभी बृजवासीयों से पूछा कि इंद्र का पूजन करने से क्या होता है। बृजवासीयों ने कहा इंद्र बरसात के देवता हैं। बारिश होती है तो हरी हरी घास उत्पन होती है। उस घास को खाकर गाय दूध देती है और हम दूध दही माखन को बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। कृष्ण ने बृजवासियों से पूछा आप लोगों ने देवराज इंद्र को कभी देखा है। ब्रज वासियों ने मना कर दिया कि कभी देखा तो नहीं है। कृष्ण ने कहा जिसको देखा नहीं है उसका पूजन करने से क्या लाभ। हमारे प्रत्यक्ष देव गोवर्धन देव हैं जो कि हमें साक्षात दर्शन दे रहे हैं। गोवर्धन पर्वत के ऊपर पेड़ पौधे हरियाली प्रकृति के कारण हम श्वांस ले पा रहे हैं। जिससे हम जीवित हैं। हमारी गौमाता को भी घास की व्यवस्था यह प्रकृति कर रही है। हम सब को प्रकृति और पेड़ पौधों का पूजन करना चाहिए। कृष्ण के कहने पर सभी बृजवासीयों ने गोवर्धन का पूजन किया। उन्होंने कहा कि आज सभी को प्रकृति की रक्षा एवं सुरक्षा का संकल्प लेना होगा।
इस मौके पर उछाली आश्रम के परमाध्यक्ष श्री महंत विष्णु दास जी महाराज ने सभी को गंगा सप्तमी की सभी को शुभकामनाएं व बधाई देते कहा कि मान्यता है कि जिस दिन गंगा जी की उत्पत्ति हुई वह दिन बैशाख शुक्ल सप्तमी थी।इसी दिन माँ गंगा स्वर्ग लोक से शंकर की जटाओं में पुहंची थी।
उन्होंने कहा कि इस धरती पर गंगा मैया मुक्तिदायनी हैं। मां गंगा में डुबकी लगाने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य को मुख्य प्राप्ति होती है उन्होंने लोगों से गंगा की निर्मलता एवं अविरलता बनाए रखने में व्यक्तिगत रूप से हर स्तर पर योगदान देने की अपील की उन्होंने कहा कि केवल सरकार के भरोसे गंगा की निर्मलता नहीं रखी जा सकती बल्कि इसमें जन-जन को अपना योगदान देना होगा हम सब का दायित्व है कि हम सब गंगा की निर्मलता को बनाए रखने का कार्य करें इससे पूर्व देर शाम भव्य शोभायात्रा निकाली गई जो नगर के विभिन्न भागों से होते हुए हर की बेरी पर जाकर गंगा आरती के साथ संपन्न हुई शोभायात्रा का जगह श्रद्धांजलि स्वागत किया । इस दौरान महंत प्रेम दास, पुनीत दास, पुजारी पुरुषोत्तम दास,अधिकारी राघवेंद्र दास,अमन दास,पुजारी राम चन्द्र दास,मुकेश जोशी, आशीष गौड़,गणेश भट्ट सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।