आस्थाहरिद्वार

मनुष्य खुशहाली में मित्र बनाता है किंतु तंग हाली में अनुभव अर्जित करता है और सुख साधन संपन्नता में ईश्वर से दूर अंधविश्वास अर्जित करता है- संजीवन नाथ महाराज

 

हरिद्वार  (वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोज मनोजानन्द)।

श्री गुरु गोरखनाथ अलख अखाड़े के परम तपस्वी विद्वान संत अखाड़े के अध्यक्ष श्री संजीवन नाथ महाराज ने जीवन का अनुभव साझा करते हुए हमारे संवाददाता को बताया मनुष्य जीवन सात रंगों में रंगे इंद्रधनुष के सामान है जब मनुष्य के जीवन में खुशहाली आती है तो वह मित्रों से घिरा होता है और नये-नये मित्र उसे प्राप्त होते हैं वह खुशहाली के रंग में सुख सुविधाओं के वशीभूत होता है और इन सुख सुविधाओं के रंग में रंग कर भगवान से दूर हो जाता है भगवान का नाम लेना तक भूल जाता है और जब तंग हाली में आपको परेशानी तो उसे भगवान सबसे पहले याद आते हैं उसे कठिनाई तो अवश्य होती है किंतु आप जीवन के तरह-तरह के अनुभव प्राप्त कर सकते हैं और अपने पराये का सही ज्ञान तंग खली और बुरे वक्त में ही प्राप्त हो सकता है उसमें आपको जीवन की सच्ची परख हो जाती है की कौन अपना है और कौन पराया है अच्छे वक्त में तो आपके साथ सब खड़े होंगे किंतु बुरे वक्त में जो आपसे विशेष सनहे रखते हैं भले ही वह अच्छे वक्त में आपके साथ खड़े ना हो किंतु बुरे वक्त में आपके साथ खड़े हो सकते हैं किंतु जीवन में ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो इंसान के बुरे वक्त में साथ खड़े रहते हैं मनुष्य के व्यक्तित्व की अपनी भाषा है जो जवान या कलम का उपयोग किये बिना भी लोगों के दिल को छु सकते है आप स्वयं विचार करें जब हमारे विचार प्रार्थना और इरादा सब सकारात्मक हो तो हमारी जिंदगी अपने आप ही सकारात्मक हो जाती है भगवान हर मनुष्य को खुद को बदलने की शक्ति और समझ और मौका देते हैं इस मौके का फायदा उठाकर खुद को बदलने के लिए मेहनत तुम्हें खुद ही करनी होगी आप सिर्फ मेहनत का मन बनाये और मेहनत कीजिए आपके जीवन में खुशियों की वर्षा होना लगभग तय है और मनुष्य के मन में बसी अच्छाई एक ऐसी ज्वाला है जो छुपा तो सकती है किंतु कभी बुझ नहीं सकती अहम घमंड जिन मनुष्यों में कम होता है उनकी अहमियत समाज में ज्यादा होती है किंतु एक अनुभव साली अच्छे चरित्र का निर्माण मनुष्य को एक बार ठोकर खाने से नहीं हो सकता उसे जीवन में हजारों बार ठोकरे खाने के बाद ही उसे समाज और जीवन का अनुभव होता है ।

उन्होंने कहा जिंदगी में कुछ नया सीखने के लिए यह स्वीकार करना जरूरी है कि सामने वाला हर व्यक्ति किसी ने किसी बात में हमसे बेहतर और श्रेष्ठ है आप अपने जीवन में केवल इस बात के लिये जिम्मेदार हो सकते हैं जो आपने कही उस बात के लिये कदापि नहीं जो सामने वाले ने समझी जीवन में शांत रहना सिखो क्योंकि मनुष्य का क्रोध किसी और की जीत हो सकता है इसी प्रकार के उच्च कोटि के विचार लेकर गुरु श्री गोरखनाथ अलख अखाड़े के संत महापुरुष आप सभी विद्वत लोगों के बीच अपना प्रेम सद्भाव लेकर आपके बीच पहुंच रहे हैं ताकि हम अपनी सभ्यता और संस्कृति में वापस आये एवं विदेशी संस्कृति पश्चात संस्कृति के विचार अपने जीवन से अपने परिवार से अपने संस्कारों से दूर करें अगर जीवन में प्रेरणा लेनी है तो भगवान राम के आदर्शों से लें जिन्होंने पिता माता की आज्ञा के लियें 14 वर्ष का वनवास भोगना स्वीकार किया और अपने कुल की मर्यादा आन बान शान बढ़ाने के लियें लंका पति रावण का कुल श्रृंघार किया और अगर त्याग समर्पण भाव की प्रेरणा लेनी है तो गुरु श्री गोरखनाथ के जीवन से लें जिन्होंने तपोबल से आम जनमानस का जीवन निहाल किया

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