संतोष एवं एकाग्रता मनुष्य को क्षमतावान बनाती है, एकाग्रता पूर्ण की गई भक्ति सीधे ईश्वर तक पहुंचती है – संजय गिरी महाराज

हरिद्वार 10 अप्रैल 2025 (वरिष्ठ पत्रकार ठाकुर मनोजानन्द )कांगड़ी स्थित सद्गुरु आश्रम में अपने श्री मुख से भक्तजनों के बीच उद्गार व्यक्त करते हुए जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर 1008 परम पूज्य श्री संजय गिरी जी महाराज ने कहा मनुष्य के मन में संतोष एवं एकाग्रता का होना अति आवश्यक है संतोष परम फलदायी है जीवन में असंतोष होने का मतलब है मन का बिखराव और बिखरा हुआ मन खुद को समेट नहीं सकता तो लक्ष्य और जीवन को क्या सफल करेगा इसलिये पहले मन में संतोष धारण करो और जीवन में एकाग्रता धारण करो एकाग्र जीवन हमें सोच विचार करने के साथ-साथ आत्म मंथन करने में सहायक होता है हम अपने जीवन के लक्ष्य को कई तरीके से सोच विचार कर साध सकते हैं जिस प्रकार एक बैरागी मन जब वैराग्य धारण कर लेता है तो वह हरि भजन के माध्यम से ईश्वर तक पहुंचाने के मार्ग को साध लेता है।
उसका भक्ति मार्ग उसे ईश्वर तक पहुंचाने की युक्ति दिखा देता है ईश्वर प्रेम का प्रतिरूप है कभी भी असंतोषी मन में ईश्वर भक्ति का वास नहीं होता इसलिये अपने तन और मन में संतोष धारण करो जो है उसे पर्याप्त समझो अधिक की लालसा मन को असंतोषी कर देती है और मन की इंद्रियों के घोड़े को गलत दिशा में भटकाव की और दौड़ाने लगते हैं किंतु अगर जीवन में एकाग्रता का चाबुक आपके हाथ में है तो उन पर लगाम लग जाती है इसी प्रकार अगर भक्ति भजन करते समय आपका मस्तिष्क किसी और दिशा में लगा हुआ है तो ऐसी भक्ति निष्फल होती है एकाग्रता पूर्ण की गई भक्ति सीधे ईश्वर तक पहुंचती है और नारायण नारायण नारायण श्री नारायण नारायण का जाप भव पार करा देता है