सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने परमाध्यक्ष परमार्थ निकेतन स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी से भेंटकर लिया आशीर्वाद
संविधान का सम्मान देश का स्वाभिमान - स्वामी चिदानन्द सरस्वती
प्रधान संपादक कमल मिश्रा
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ को स्वामी जी ने हिमालय की हरित भेंट रूद्राक्ष का पौधा किया भेंट
ऋषिकेश, 8 अक्टूबर। परमार्थ निकेतन में माननीय न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया और उनकी धर्मपत्नी वाइस चांसलर, इलाहबाद विश्वविद्यालय पीपी संगीता नाथ जी पधारे। उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और साध्वी भगवती सरस्वती जी से भेंट कर उनके पावन सान्निध्य में विश्व विख्यात गंगा जी की आरती में सहभाग किया।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने सुप्रीम कोर्ट में पहली बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई शुरू की थी। यह कदम न्यायिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन था, विशेषतौर पर कोविड-19 महामारी के दौरान। वह 2020, कोविड-19 महामारी के दौरान यूट्यूब पर अपनी कार्यवाही को लाइव स्ट्रीम करने वाले भारत के किसी उच्च न्यायालय के वे पहले मुख्य न्यायाधीश हैं। इस पहल ने न्यायिक प्रक्रिया को अधिक सुलभ और प्रभावी बनाया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई ने न केवल समय और संसाधनों की बचत की, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को भी अधिक पारदर्शी बनाया।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। उन्होंने न्यायिक प्रणाली में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं और वे समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। उनके नेतृत्व में, गुजरात हाई कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण मामलों में त्वरित और न्यायपूर्ण फैसले दिए।
उन्होंने अपने करियर में कई सामाजिक और कानूनी सुधारों के लिए काम किया है। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों, बच्चों के अधिकारों, और पर्यावरण संरक्षण के मामलों में महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं। उनके नेतृत्व में, न्यायपालिका ने कई महत्वपूर्ण सुधारात्मक कदम उठाए हैं, जिनमें न्यायिक प्रक्रियाओं को अधिक पारदर्शी और सुलभ बनाने हेतु महत्वपूर्ण योगदान दिया।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने अपने न्यायिक करियर में कई महत्वपूर्ण मुकदमों की सुनवाई की है। उन्होंने विशेष रूप से मानवाधिकारों, पर्यावरण संरक्षण, और सामाजिक न्याय के मामलों में महत्वपूर्ण फैसले दिए हैं।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की परमार्थ निकेतन की यात्रा और गंगा आरती में सहभागिता उनके जीवन के आध्यात्मिक और सामाजिक पहलुओं के दर्शन कराती है। उनका योगदान न्यायिक प्रणाली और समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा न्याय परमात्मा का न्याय है जो किसी व्यक्ति विशेष के लिये नहीं बल्कि पूरी मानवता के लिये है और स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के मार्गदर्शन व नेतृत्व में परमार्थ निकेतन सम्पूर्ण मानवता के लिये विलक्षण कार्य कर रहा है। परमार्थ निकेतन गंगा आरती केवल भारत में ही नहीं बल्कि वैश्विक ख्याति प्राप्त है। पूरे विश्व से लोग यहां पर आना चाहते है। नदियों के प्रति जो श्रद्धा स्वामी जी ने स्थापित की हैं वह अनुकरणीय है।