स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद की 7वीं पुण्यतिथि पर मातृ सदन में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन
कमल मिश्रा
हरिद्वार। 13 अक्टूबर 2024 । मातृ सदन आश्रम, हरिद्वार में स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद जी की 7वीं पुण्यतिथि के अवसर पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी वैज्ञानिक से संत बने स्वामी सानंद के गंगा की रक्षा के लिए किए गए संघर्ष और उनके योगदान पर केंद्रित थी। कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण और गंगा की अविरल धारा को बनाए रखने के महत्व पर गहन चर्चा की गई।
इस अवसर पर मुख्य संबोधन करते हुए परम पूज्य गुरुदेव स्वामी शिवानंद महाराज ने स्वामी सानंद जी के महान योगदान पर प्रकाश डाला। पूज्य गुरुदेव ने कहा कि यदि स्वामी सानंद जी ने गंगा की अविरल धारा के लिए अपना अनशन और संघर्ष न किया होता, तो गंगा का प्रवाह भैरवघाटी पर रोक दिया जाता, जो गंगोत्री से मात्र 8-10 किलोमीटर नीचे है। स्वामी सानंद जी की तपस्या का परिणाम है कि आज 125 किलोमीटर का पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र गंगा के किनारे किसी भी अवरोध से मुक्त है। यह स्वामी सानंद जी की अमूल्य विरासत है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा बनी रहेगी।
पूज्य गुरुदेव ने सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले पर भी बात की, जहां पर्यावरण मंत्रालय, सरकार और यहां तक कि न्यायपालिका द्वारा सच्चाई को दबाने और हिमालय में गंगा पर विनाशकारी जलविद्युत परियोजनाओं को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस ongoing मुकदमे की विस्तृत जानकारी ब्रह्मचारी सुधानंद ने संगोष्ठी में साझा की।
डॉ. विजय वर्मा ने मातृ सदन के संघर्षों और वर्षों से पर्यावरण संरक्षण के लिए किए गए प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने वेदों के पर्यावरण से जुड़े शिक्षाओं के बारे में भी अपने विचार साझा किए। श्री विनय सेठी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए व्यक्तिगत विवेक और जिम्मेदारी की आवश्यकता पर बल दिया। अन्य वक्ताओं में श्री संजीव चौधरी, श्री विकास झा और श्री वसंत ने भी पर्यावरण संरक्षण में मातृ सदन के योगदान पर अपने विचार व्यक्त किए।
साध्वी पद्मावती ने स्वामी सानंद जी के साथ अपने व्यक्तिगत अनुभव और गंगा के लिए उनके संघर्ष की प्रेरणा को साझा किया। कार्यक्रम का संचालन सुश्री वैभवी वर्मा ने किया, जिन्होंने सभी उपस्थितजनों को धन्यवाद देते हुए कार्यक्रम का समापन किया।