वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार लोक सभा में त्रिवेंद्र
डॉ हरिनारायण जोशी
हरिद्वार। राजनीति बड़े उच्चावचों का खेल है। न जाने ऊंट कब किस करवट बैठे। लेकिन वर्तमान हालात परिस्थितियों और यदि यह भी कहा जाए की लहर, तो हरिद्वार लोकसभा से त्रिवेंद्रजी निश्चित लोकसभा में हैं। वर्तमान समय में बीजेपी का टिकट मिलना बांछे खिलना जैसा है। राजनीति पहलवानों का अखाड़ा भी नहीं है कि जो मजबूत और शक्तिशाली हो वही जीते। बस राजनीति लहरों पर सवार होकर आगे निकल जाती है। और यह वह समय है जब देश में प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी जी का वर्चस्व इंदिरा गांधीजी के जमाने से भी आगे है।
लगातार कमजोर होती गई दूसरी राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पार्टी कांग्रेस राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा न्योता ठुकराने के बाद और पीछे चली गई है। उनके नेता और कार्यकर्ता भी निरुत्साहित हैं उत्तराखंड तो पूरा प्रदेश ही धार्मिक भाव से उत्प्रोत है। और फिर हरिद्वार तो विश्व भर में देश का प्रमुख धार्मिक प्रतिनिधि है ही। ऐसे में उत्तराखंड के मंझे हुए अनुभवी दिग्गज नेता हरीश रावतजी कांग्रेस रथ पर सवार होकर पुत्र को विजय के कितने समीप ले जाएंगे, यह भी अनेक समीकरणों पर निर्भर करेगा।
त्रिवेंद्रजी को हरिद्वार लोकसभा से उनके समक्ष यहां से कम से कम दो बड़े दिग्गजों का टिकट काटकर चयन किया गया। डॉ0 रमेश पोखरियाल निशंक जब पहली बार राजनीति के मर्मज्ञ डॉक्टर शिवानंद नौटियाल को हराकर उत्तर प्रदेश विधानसभा पहुंचे तो उनका राजनीतिक कौशल जग जाहिर हो गया। वह उत्तर प्रदेश में कल्याण सिंह सरकार में मंत्री भी बने। हरिद्वार को उत्तराखंड में सम्मिलित करवाने में उनकी महत्वपूर्ण अग्रणी भूमिका भी रही है। साहित्यकारों में वे देश और विदेश में जाने और पहचाने जाते हैं। हालांकि त्रिवेंद्र जी भी पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा धारक हैं किंतु निशंक जी की लोकप्रियता पत्रकारिता जगत में भी बहुत अधिक है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहने के साथ-साथ वह केंद्र में भारी भरकम मंत्रालय के कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। लेकिन लोकसभा का तीसरी बार टिकट उन्हें प्राप्त नहीं हुआ। दूसरी ओर एक और बड़े दावेदार मदन कौशिकजी उत्तराखंड में एक ऐसे अकेले विधायक हैं जो लगातार जीतते हुए आए हैं और आगे भी जीतने की क्षमता रखते हैं। इन्हीं के साथ अन्य दावेदारों को भी दरकिनार कर फिर भी त्रिवेंद्र जी को ही इस प्रतियोगिता में अधिक उपयुक्त मानते हुए लोकसभा के लिए बीजेपी ने उन्हें को सुयोग्य समझा। त्रिवेंद्रजी की सरल हृदयता, सहजता, सज्जनता ,ईमानदारी, स्पष्टवादिता और निष्ठा सबसे बड़ी पूंजी है। 3 वर्षों तक अनवरत उत्तराखंड जैसे महत्वपूर्ण राजनीतिक वर्चस्व प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने पर उन पर कोई भ्रष्टाचार जैसा दाग नहीं लगा। हालांकि उनकी भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की मुहिम भी सफल नहीं रही और भ्रष्टाचार राज्य में फलता फूलता ही रहा। यह भी है कि अध्यापिका विवाद और कोरोना जैसी महामारी के प्रति उनका हल्का बयान भी कभी उनका पीछा नहीं छोड़ेगा लेकिन राजनीति में तमाम आरोप प्रत्यारोपण के बीच भी राजनेता बैतरणी पार कर जाते हैं।
इस चुनाव मैदान में यूकेडी जैसे राज्य आंदोलनकारी और बसपा तथा अन्य दलों के साथ-साथ भी दमदार निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं। किंतु अंततः सीधा मुकाबला राष्ट्रीय पार्टियों के मध्य ही चला जाता है। हरिद्वार पूरे देश में एक विशेष स्थान रखता है और हरिद्वार की जनता अपने लोकसभा सदस्य से यह आशा हमेशा रखेगी की भौतिक प्रगति के साथ-साथ उसका सांस्कृतिक , प्राकृतिक और आध्यात्मिक स्वरूप मूल प्रकृति स्वरूप में विकसित किया जाए । उसकी स्वच्छता का विशेष प्रबंधन किया जाए। उसे हर प्रकार के प्रदूषण से मुक्त किया जाए। वहां बहने वाली सभी गंगधाराओं की पवित्रता और स्वच्छता का हर स्थिति में ध्यान रखा जाए। 14 विधानसभा वाला यह लोकसभा क्षेत्र एक लघु भारत जैसा भी है। इसके विकास के लिए योजनाएं स्वीकृत करवाना और उन्हें ईमानदारी से कार्यान्वित कराना यहां के लोकसभा सदस्य की प्रथम जिम्मेदारी रहेगी। देखते हैं जनता जनार्दन यह सौभाग्य अन्तत:किसको प्रदान करती है। लेकिन उम्मीद करते हैं कि त्रिवेंद्र जी अपने चुनाव प्रचार के साथ-साथ इश्क लोकसभा क्षेत्र के बहुमुखी विकास के लिए सभी प्रकार की योजनाओं पर मंथन भी करते रहें। वर्तमान विजयश्री परिस्थितियां हर दृष्टि से उनके अनुकूल हैं .